पतंग
झूमते उसे
आते देखते,
चढते उसे
आकाश में देखते,
.
कटी है
जुडी है
जरा डोर को
संभाल पाते
अटक गई
सांस
गर्दन से
लिपट कर
.
उतर गई
एक पंछी की
अंतिम सांस बनकर
एक पतंग उडी
सूक्ष्म जीव
अल्प काल
जैसे पतंग.
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस
झूमते उसे
आते देखते,
चढते उसे
आकाश में देखते,
.
कटी है
जुडी है
जरा डोर को
संभाल पाते
अटक गई
सांस
गर्दन से
लिपट कर
.
उतर गई
एक पंछी की
अंतिम सांस बनकर
एक पतंग उडी
सूक्ष्म जीव
अल्प काल
जैसे पतंग.
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस