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27 Nov 2019 · 1 min read

पड़ाव जिन्दगी के

गुजर रही है
जिन्दगी होले होले
कभी रफ़्तार
तो कभी धीमे धीमे

कभी अपने
तो कभी हुए पराये
उम्र की दहलीज
जिन्दगी की
खत्म होती लीज

है ये एक पड़ाव
जिन्दगी का
रहे न रहे कल
करे न करे याद कोई

होता खत्म सफ़र
एक शून्य
विकट भयावह
धू धू जलती चिता
अन्तिम पड़ाव
जिन्दगी का

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

Language: Hindi
185 Views
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