पकौड़ा उद्योग
पढा लिखा या अनपढ सबको, एक साथ बिठाते है,
प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना सबको आज बताते हैं
चलो चल चलें पकौड़े हम भी बनाते है।
बहुत हुई पढाई , करनी अब हमें कमाई
छोड़ कलम किताब, गैस चूल्हा कड़ाह हम भी उठाते हैं,
चलो चल चलें पकौड़े हम भी बनाते है।
नौकरी नहीं है आज, हमे करना स्वरोजगार
बेसन तैल और प्याज, संग- संग गोभी भी लाते हैं,
चलो चल चलें पकौड़े हम भी बनाते हैं।
बहुत हुआ शिक्षा दिक्षा, मांगनी नहीं नौकरी की भिक्षा
जिन्दगी खुद की खुद को, दिशा खुद हीं दिखाते हैं,
चलो चल चलें पकौड़े हम भी बनाते हैं।
हर तरफ आरक्षण, कैसे बने कोई डॉक्टर
काले धन व अच्छे दिन की, जुमला हम भुलाते है,
चलो चल चलें पकौड़ा हम भी बनाते हैं।
लम्बी चौड़ी बात, कहीं दिखता नहीं विकास
चलो बुल्लेट ट्रेन में, अब वहीं चूल्हा जलाते हैं,
चलो चल चलें पकौड़ा हम भी बनाते हैं।
पढे लिखें इंसान ,करलो बेसन तैल का भाव
आओ मिलजुल साक्षर निर्क्षर फासले मिटाते है,
चलो चल चलें, पकौड़ा हम भी बनाते हैं।
……..
पं.संजीव शुक्ल “सचिन”