Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 May 2021 · 3 min read

पंचिक विधा और स्वरूप

(पंचिक)

अंग्रेजी में हास्य विनोद की लघु कविता के रूप में लिमरिक्स एक प्राचीन विधा है। यह कुल पाँच पंक्तियों की लघु कविता होती है जिसकी एक विशिष्ट लय रहती है। यह लय विशिष्ट तुकांतता और सिलेबल की गिनती पर आधारित रहती है। तुकांतता की विशेषता इस अर्थ में है कि इसकी पाँच पंक्तियों में दो अलग अलग तुकांतता रहती है। पंक्ति संख्या एक, दो, पाँच में एक तुकांतता रहती है तथा पंक्ति संख्या तीन तथा चार में दूसरी तुकांतता रहती है। पंक्ति संख्या एक, दो, पाँच में आठ या नौ सिलेबल रहते हैं जबकि पंक्ति संख्या तीन, चार में पाँच या छह सिलेबल रहते हैं।

राजस्थानी भाषा में इस विधा को श्री मोहन आलोक जी ने डाँखला के नाम से विकसित किया है। डाँखला के नाम से उनकी एक पुस्तक प्रकाशित हुई है जिसमें राजस्धानी भाषा में उनके दो सौ मजेदार डाँखले संग्रहित हैं।

हिन्दी में यह विधा हाइकु, ताँका, सेदोका जैसी अन्य विदेशी विधाओं जितनी प्रसिद्धि नहीं पा सकी है। काका हाथरसी जी के तीन तुक के तुक्तक मिलते हैं जो लिमरिक्स से अलग एक स्वतंत्र विधा है।उनके दो तुक्तक देखें।

“जाड़े में आग की, खाने में साग की
गाने में राग की, महिमा अनंत है।”

“रिश्ते में साली की, पान में छाली की
बगिया में माली की, महिमा अनंत है।”

अंग्रेजी की लिमरिक्स की विधा को हिन्दी में एक नाम देकर नियम बद्ध करने का मैंने प्रयास किया है जिसे मैं इस आलेख के माध्यम से आप सबके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ।

लिमरिक्स की संरचना को दृष्टिगत रखते हुये इसका सुगम सा नाम “पंचिक” दिया है। इसका पाँच पंक्ति का होना एक गुण है और दूसरा गुण है अंग्रेजी भाषा का शब्द ‘पंच’ जिसका अर्थ छेदन, चुभन, कचोटना, मुष्टिक आघात इत्यादि है। लिमरिक यानि पंचिक की पंक्तियों में गुदगुदाहट पैदा करने वाली एक मीठी चुभन होनी चाहिए जो पाठक के हृदय को एकाएक छेद सके। यह चुभन या आघात कटु व्यंग के रूप में हो सकता है, उन्मुक्त हास्य हो सकता है या तार्किकता से मुक्त बिल्कुल अटपटा उटपटांग सा प्रहसन हो सकता है जो पाठक को अपने में समेट हल्का हल्का गुदगुदाता रहे। पंचिक कोई भी विचार मन में लेकर रचा जा सकता है। यह बाल कविता के रूप में भी काफी प्रभावी सिद्ध हो सकता है। हँसी हँसी में बच्चों को सामान्य ज्ञान दे सकता है।

आंग्ल भाषा की परंपरा के अनुसार पंचिक की प्रथम पंक्ति में किसी काल्पनिक पात्र को उसके गुण के आधार पर एक मजाकिया सा नाम देकर व्यंग का निशाना बनाया जाता है। किसी शहर या गाँव के नाम को भी इसी प्रकार विशुद्ध हास्य के रूप में लिया जा सकता है। दूसरी, तीसरी, चौथी पंक्ति में ऐसे पात्र के गुण उभारे जाते हैं। पाँचवी पंक्ति पटाक्षेप की चुभती हुई यानि पंच करती हुई पंक्ति होती है। इस पंक्ति में रचनाकार को तार्किकता इत्यादि में अधिक उलझने की आवश्यकता नहीं है। प्रथम और दूसरी पंक्ति से तुक मिलाते हुये कुछ या पूरा लीक से हट कर चटपटा पटाक्षेप कर दें।

जहाँ तक पंचिक की पंक्तियों के विन्यास का प्रश्न है, यह किसी भी मात्रिक या वर्णिक विन्यास में बँधा हुआ नहीं है। फिर भी लयकारी की प्रमुखता है। पंक्तियों के वाचन में एक प्रवाह होना चाहिए। यह लय, गति ही इसे कविता का स्वरूप देती है।
मैं यहाँ घनाक्षरी की लय को आधार बना कर कुछ दिशानिर्देश दे रहा हूँ।

घनाक्षरी की लय साधते हुये पंक्ति संख्या 1, 2, 5 में प्रति पंक्ति 14 से 18 तक वर्ण रख सकते हैं। घनाक्षरी के पद की प्रथम यति में 16 वर्ण रहते हैं पर इसमें यह रूढि नहीं है। यह ध्यान रहे कि लय रहे। 14 वर्ण हो तो गुरु वर्ण के शब्द अधिक रखें, 18 वर्ण हो तो लघु वर्ण के शब्द अधिक प्रयोग करें। इससे मात्राएँ समान होकर लय सधी रहेगी। पंक्ति संख्या 3 और 4 में प्रति पंक्ति 7 से 13 वर्ण तक रख सकते हैं। इसकी विशेषता दर्शाता मेरा एक पंचिक देखें:-

“अंगरेजी भाषा का जो खुराफाती लिमरिक,
हिन्दी में छायेगा अब बनकर ‘पंचिक’।
व्यंग करने में पट्ठा पूरा टंच,
धूल ये चटाये मार मीठे पंच।
कवियों के हाथ लगा हथियार आणविक।।”

ऐतिहासिक धरोहर का परिचय देता एक बाल पंचिक:-

“लक्ष्मी बाई जी की न्यारी नगरी है झाँसी,
नाम से ही गद्दारों को दिख जाती फाँसी।
राणी जी की ऐसी धाक,
अंग्रेजों की नीची नाक,
सुन के फिरंगियों की चल जाती खाँसी।।”

बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
तिनसुकिया

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 2 Comments · 575 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
2644.पूर्णिका
2644.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
वैविध्यपूर्ण भारत
वैविध्यपूर्ण भारत
ऋचा पाठक पंत
जब कभी  मिलने आओगे
जब कभी मिलने आओगे
Dr Manju Saini
আগামীকালের স্ত্রী
আগামীকালের স্ত্রী
Otteri Selvakumar
वो
वो
Ajay Mishra
चलना, लड़खड़ाना, गिरना, सम्हलना सब सफर के आयाम है।
चलना, लड़खड़ाना, गिरना, सम्हलना सब सफर के आयाम है।
Sanjay ' शून्य'
बेटी
बेटी
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
बीजारोपण
बीजारोपण
आर एस आघात
आजावो माँ घर,लौटकर तुम
आजावो माँ घर,लौटकर तुम
gurudeenverma198
जोड़ तोड़ सीखा नही ,सीखा नही विलाप।
जोड़ तोड़ सीखा नही ,सीखा नही विलाप।
manisha
If We Are Out Of Any Connecting Language.
If We Are Out Of Any Connecting Language.
Manisha Manjari
आव्हान
आव्हान
Shyam Sundar Subramanian
हल्ला बोल
हल्ला बोल
Shekhar Chandra Mitra
😢धूर्तता😢
😢धूर्तता😢
*Author प्रणय प्रभात*
एक अबोध बालक
एक अबोध बालक
DR ARUN KUMAR SHASTRI
माँ-बाप का मोह, बच्चे का अंधेरा
माँ-बाप का मोह, बच्चे का अंधेरा
पूर्वार्थ
फिर से
फिर से
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
इमारत बड़ी थी वो
इमारत बड़ी थी वो
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
स्वास्थ्य का महत्त्व
स्वास्थ्य का महत्त्व
Paras Nath Jha
कृष्ण चतुर्थी भाद्रपद, है गणेशावतार
कृष्ण चतुर्थी भाद्रपद, है गणेशावतार
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
शिव की बनी रहे आप पर छाया
शिव की बनी रहे आप पर छाया
Shubham Pandey (S P)
आज़माइश
आज़माइश
Dr. Seema Varma
** मुक्तक **
** मुक्तक **
surenderpal vaidya
*हिंदी दिवस मनावन का  मिला नेक ईनाम*
*हिंदी दिवस मनावन का मिला नेक ईनाम*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मिलना हम मिलने आएंगे होली में।
मिलना हम मिलने आएंगे होली में।
सत्य कुमार प्रेमी
"गिल्ली-डण्डा"
Dr. Kishan tandon kranti
सरेआम जब कभी मसअलों की बात आई
सरेआम जब कभी मसअलों की बात आई
Maroof aalam
किसी भी चीज़ की आशा में गवाँ मत आज को देना
किसी भी चीज़ की आशा में गवाँ मत आज को देना
आर.एस. 'प्रीतम'
*पूरी करके देह सब, जाते हैं परलोक【कुंडलिया】*
*पूरी करके देह सब, जाते हैं परलोक【कुंडलिया】*
Ravi Prakash
कितनी बार शर्मिंदा हुआ जाए,
कितनी बार शर्मिंदा हुआ जाए,
ओनिका सेतिया 'अनु '
Loading...