पंचदेव
सायली छंद
पंचदेव
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क्षमा
करो प्रभु
बहुत हो चुका
पीड़ा हरो
विनती।
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महामारी
चतुर्दिश भारी
सुनो विनय हमारी
भोले भंडारी
शरणम्।
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नाथ
मौन तोड़ो
भूल माफ करो
कष्ट हरो
त्रिपुरारी।
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विनाश
सामने खड़ा
मुस्कुरा रहा है
आँखे खोलो
त्रिनेत्रधारी।
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आखिर
कब तक
मौन रहोगे प्रभु
इरादा क्या
समूलनाश ।
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● सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उ.प्र.
8115285921
©मौलिक, स्वरचित