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3 Jul 2019 · 1 min read

पंचतत्व की सेवा (सदविचार)

प्रकृति की सेवा ही मातृभूमि का ॠण उतारना है
पंचतत्व में विलीन शरीर और पंचतत्व की सेवा ही मातृभूमि समतुल्य है
पृथ्वी अग्नि वायु आकाश जल सब मातृभूमि ही है ।

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

Language: Hindi
Tag: लेख
382 Views
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