न होना कभी जुदा ………
चाहत मेरी
बेगानी मुहब्बत
मेरी आशिकी
तुम्हारी इबादत
न होना कभी जुदा
न चाहो मुझे
ये तुम्हारी है मर्जी
मेरी दिल्लगी
है मेरी खुदगर्जी
न होना कभी जुदा
मंजिल नही
होने पाएं जुदाई
हो जाएं भले
जिंदगी की बिदाई
न होना कभी जुदा
तुम्हे क्या पता
क्या चाहत है मेरी
तुम्हे चाहना
ये आदत है मेरी
न होना कभी जुदा
भुला दो मुझे
या अपना बनालो
दो चार पल
हस कर बितालो
न होना कभी जुदा
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©शशिकांत शांडिले, नागपुर
भ्र.९९७५९९५४५०