न फितरत है न नफरत है — मुक्तक
न फितरत है न नफरत है, शराफत मैंने अपनाई।
मेरी यह सादगी यारो, मेरे ही काम है आई ।
न कोई मेरी सुनता है , चाल खुद की चलता है।
मैंने तो जीवन में बरकत,सरलता से ही पाई।।
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दर्पण दिल का अपना तो ,सदा ही साफ है रखना।
परखना न्याय नीति को,करना इंसाफ है करना।
शीशा टूट न जाए,चुभन से घायल कर देगा।
मुश्किल हो जाएगा साथी,घाव को अपने तो भरना।।
राजेश व्यास अनुनय