न कोई मेल था माना चुनाव ऐसा था
न कोई मेल था माना चुनाव ऐसा था
अलग न हो सके लेकिन लगाव ऐसा था
न तोड़ पाये जो कुछ बेड़ियाँ वो पाँवों की
पुरानी रीतियों का कुछ दबाव ऐसा था
निगाहों में तो थे उसके सवाल ही कितने
खमोशी ओढ़ ली हो, हाव भाव ऐसा था
परंपरा हो या रिश्ते उसे बहुत प्यारे
वो इन पे जान भी दे दे झुकाव ऐसा था
पुजारी प्यार का था डूबता गया उसमें
मगर हो ‘अर्चना’ जैसे वो भाव ऐसा था
डॉ अर्चना गुप्ता
23-11-2017