नज़्म / कविता
अगर मैं मर गया तो……
जो इनके वास्ते देखें हैं उन ख़्वाबों का क्या होगा?
अगर मैं मर गया तो फिर मेरे बच्चों का क्या होगा?
अभी ज़िंदा हूँ सो मैं बोझ इन सब का उठाता हूँ।
हर इक तकलीफ सहता हूँ मगर मैं मुस्कुराता हूँ।
ग़म ओ आलाम से लड़ने की मैं हिम्मत जुटाता हूँ।
मगर जब सोचता हूँ ये तो मैं भी खौफ खाता हूँ।
मेरे जाते ही इन कमज़ोर से काँधों का क्या होगा?
अगर मैं मर गया तो फिर मेरे बच्चों का क्या होगा?
अभी तो खेलने की कूदने की उम्र है इनकी।
अभी दीन और दुन्या सीखने की उम्र है इनकी।
अभी हर बात पर कुछ पूछने की उम्र है इनकी।
अभी हर दिन नई शै मांगने की उम्र है इनकी।
भला इस कमसिनी में इनके अरमानों का क्या होगा?
अगर मैं मर गया तो फिर मेरे बच्चों का क्या होगा?
ये नादाँ सिर्फ अपने घर को ही दुन्या समझते हैं।
मेरे मासूम बच्चे हैं अभी कितना समझते हैं।
अभी है उम्र जितनी इनकी ये उतना समझते हैं।
कहानी भी समझते हैं ना ये किस्सा समझते हैं।
जो मैं इनको जो सुनाता हूँ उन अफसानों का क्या होगा?
अगर मैं मर गया तो फिर मेरे बच्चों का क्या होगा?
मेरे माँ बाप पर गोया क़यामत टूट जाएगी।
उमीदों से बंधी है जो ईमारत टूट जाएगी।
मेरे खुशहाल घर पर फिर मुसीबत टूट जाएगी।
ग़रज़ कहना है ये के इनकी हिम्मत टूट जाएगी।
जो मुझ को देख के ज़िंदा है उन आँखों का क्या होगा?
अगर मैं मर गया तो फिर मेरे बच्चों का क्या होगा?
जो मेरे वास्ते घर बार अपना छोड़ आई है।
जो मेरे वास्ते अपनों से चेहरा मोड़ आई है।
मेरी तक़दीर से जो अपनी किसमत जोड़ आई है।
वो जो ज़ंजीर रिश्तों की बंधी थी,तोड़ आई है।
फिर उस ईसार की मूरत के जज़्बातों का क्या होगा?
अगर मैं मर गया तो फिर मेरे बच्चों का क्या होगा?
तू ही नाराज़ होता है मोहब्बत तू ही करता है।
खुदाया जानता हूँ के करामत तू ही करता है।
मुसीबत में हों बन्दे तो हिफाज़त तू ही करता है।
अता,हालात से लड़ने की हिम्मत तू ही करता है।
मगर जो करके बैठा हूँ मैं उन वादों का क्या होगा?
अगर मैं मर गया तो फिर मेरे बच्चों का क्या होगा?
मैं तेरे हुक्म की तामील को गरदन झुकाऊंगा।
मेरा ईमान तुझ पर है,सो ये भी कर दिखाऊंगा।
बुलाएगा अगर मुझ को जो तू ,तो लौट आऊंगा।
मेरे बच्चों को मैं तेरे भरोसे छोड़ जाऊँगा।
पर इनकी आँख से निकले हुए अश्कों का क्या होगा?
अगर मैं मर गया तो फिर मेरे बच्चों का क्या होगा?
जो इनके वास्ते देखें हैं उन ख़्वाबों का क्या होगा?????
⭐ मोहसिन आफ़ताब केलापुरी ⭐