धन की आशिक़ी (हास्य आशिक़ी)
तुमको शौक था
सज धजने का
इसलिए हमको गले लगाया
और जब गला हो गया हल्का
अब हमारा प्यार समझ आया ।
हमने तो सिर्फ देखा ता तुमको
आम लड़कियों की तरह
हरा भरा शरीर
कातिल निगाने
आम लफंगों की तरह ।
ये तो समय का मिजाज था
कि हम नशे में थे और रुक गए
हमारे लीचड़ मित्र कार में हमको
बा इज्जत मालिक की तरह ले गए
भाग्यवश तुमको हम अमीर दिख गये ।
चिकना बदन था तुम्हारा
शीशे की तरह इसलिए
नजरें भी धोखा खा कर फिसल गयी
और हमारे सच्चे कर्म थे कि
सकल से हमारा दोस्त तुमको ड्राइवर लगा
हम तो भूल गए थे
उस पल को
लड़कियों की आम लताड़ की तरह
बुरा दिन था तुम्हारा कि
तुम्हारी सहेली भी थी
मेरे आवारा दोस्त की तरह ।
हमने भी सिगरेट पीली उधार लेकर
समय की मजबूरी थी
कि तुम निकली मुझे देख कर
वो गाडी भी ना मेरी थी ना सिगरेट
और तुम्हारी नजर फिर से फिसल गई
मुझे अमीर समझकर ।
शुरुरात हुई आम
और तुमने दे दिया हमको रहीशों बाला नाम
जिसके हम काबिल ना थे
पर क्या करते झूठ को
झूठे मन से पी गये और
और हम आशिक आवारा हो गए ।
वैसे तो सब सही चल रहा था
पर तुम्हारी ख्वाहिशें पूरी करने के लिए
दोस्तों का उधार बढ़ रहा था
क्या करते तुम्हारे दिए सम्मान से हम भी उछल रहे थे
शुक्रिया दोस्तों का किया
क्योकि प्यार में बड़ी स्पीड से आगे बढ़ रहे थे ।
अब क्यों रोती हो
उधार तो दोस्तों का चुकाना है
मेरी जेब में नही एक भी आना है
उतार दो मेरे गिफ्ट के हारो को
कंगन टीके और पायलों को ।
अब आँखे ना दिखाओ
मजा तुम्हें भी आया था
जानू सोनू से मेरी खतरनाक भावनाओं को
खूब जगाया था
कोई नही हर मजा में थोड़ी सजा है
यही दस्तूर है आज का
ना में बेबफ़ा हूँ ना तू बेबफ़ा है ।
अभी वक्त है
कहीं और हाथ आजमा
किसी सच्चे अंबानी को पटा
जानकारी पूरी मैं दूंगा जीजू की
मेरी बहन ये गहने मुझे दे
अब और ज्यादा ना पछता ।