नज़रिया
नज़रिया
नजरों से नजरें मिली तो हमारा देखने का अंदाज बदल गया।
राहों में देख काँटे राही का मन बदल गया।।।।।।
क्यों डरते हो किसी की गंदी और संकुचित सोच से,,
जान लो जो आंगे बढ़ा वही मंजिल को पा गया।।।।
अपने देखने के तरीके को पहले रखो कुछ खासमखास दुनियां वालो,
फिर मत कहना कि इंसान बदल गया।।।।।।
नफ़रत की आग में कभी किसी का न भला हुआ हैं।।
जो था दुनिया अहंकारी वो भी जलकर राख हो गया।।।
भाईचारे की भावना लेकर निकलो घर से हरदिन,
मीठी वाणी से गैरो को अपना बना लिया गया।।।
खुद को ऊपर उठाकर दुसरो को नीचे न गिराओ।।
जो साथ लेकर चले सबको वो जग में महान हो गया।।।
पहले खुद को बदल कर जीना सीख लो दोस्तों,,
फिर समझना लोगों को बदल देना आसान हो गया।।।।।।
लेखिका गायत्री सोनू जैन