Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Apr 2020 · 3 min read

न्याय

********************न्याय********************
********************कहानी*******************

बहुत ही पुरानी बात हैं।अवध रियासत का राजा मान सिंह राठोड़ बहुत ही न्यायप्रिय, दयालु , समझदार और शक्तिशाली था । उसके राज मे रियासत की प्रजा सुखुसमृद्ध और खुशहाल थी।किसी जन को किसी प्रकार की कोई चिंता नहीं थी । सारी प्रजा अपने राजा का गुणगान किया करती थी।
राजा किसी भी छोटी या बड़ी बात निर्णय बड़ी ही समझदारी से किया करता था।उसके निर्णय की कसौटी बहुत खरी थी और वह किसी भी बात का निर्णय करते समय इस बात का ध्यान अवश्य रखता था कि किसी के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय ना हो।इसलिए राजा की महिमा का डंका आस पास की रियासतों में भी बजता था।
इसी रियासत के एक छोटे से गाँव में शमशेर सिंह नाम का किसान भी रहता था । उसके पास जमीन की कोई कमी नहीँ थी।वह बहुत ही खुशहाल जीवन जी रहा
था और पूरे गाँव में उसकी प्रतिष्ठा और सम्मान था।
उस किसान के चार पुत्र थे।चारो ही बहुत सुंदर और
सुडौल शरीर के मालिक थे, जिनमें से तीन तो बहुत नेक,
परिश्रमी और इज्जत कमाने और करवाने वाले थे,लेकिन
उस किसान का चौथा पुत्र बहुत ही ज्यादा नालायक और
बिगडैल था। ऐसा कौनसा अवगुण था जो उसमें नहीं था।
हर रोज वह किसी ना किसी प्रकार का उलाहना घर में
लाया करता था और उसका अपने माता- पिता,भाइयो व
ग्रामवासियों के साथ अच्छे संबंध नहीं थे।थहाँ तक कि वह अपने पिता जी के साथ गाली गलोच व भाइयों से मार-पीट किया करता था। किसान अपने चौथे पुत्र के व्यवहार और आचरण से बहुत परेशान था।
किसान बीमार रहने लगा और उसका अंतिम समय नजदीक गया और उसने एक दिन अपनी जमीन की विरासत तीन पुत्रों के नाम कर दी और चोथे पुत्र को अपनी चल अचल संपत्ति से बेदखल कर दिया , लेकिन
उसने विरासत में चारों पुत्रों में से किसी भी पुत्र के नाम का जिक्र नहीं किया, जिसका खुलासा उसने किसी के साथ नहीं किया।
. और एक दिन वो किसान शमशेर सिंह भगवान को
प्यारा हो गया । चारों पुत्रों में संपत्ति बंटवारे के लिए पंचायत बैठी, जिसमें गांव के गणमान्य व्यक्ति और नजदीक के रिश्तेदारों ने भाग लिया।लेकिन जब किसान
की जीते जी लिखी विरासत को पढ़ा गया तो पंचायती
स्तब्ध रह गए। विरासत में चल – अचल संपत्ति को तीन पुत्रो में समान विभाजित किया था और चौथे पुत्र को
बेदखल किया गया था, लेकिन किसी के नाम का जिक्र नहीं था। पंचायत द्वारा बेदखल पुत्र के बारे में निर्णय लेना
मुश्किल हो गया।
धीरे धीरे यह मामला रियासत के राजा की कचहरी में चला गया। विरासत को पढ़ कर राजा असमंजस में
पड़ गया, क्योंकि वह किसी के साथ न्याय नहीं करना चाहता था। राजा का एक बहुत ही समझदार वजीर था,
जिसकी वह महत्वपूर्ण मामलों में सलाह लिया करता था।
सारा मामला जब उसको बताया गया तो उसने कहा कि
यह कोई मुश्किल कार्य नहीं ।इस का निर्णय वह आसानी
से कर देगा , लेकिन वजीर चारो पुत्रों से अकेले अकेले
बात करना चाहता था।
वजीर एक अलग कमरे में बैठ गया और उसने चारों को बारी – बारी से बुलाया।सभी से एक ही सवाल किया कि उनका पिता बहुत ही बेकार और घटिया व्यक्ति था जिसने जानबूझकर कर चारों में से एक बेटे को जायजाद से वंचित रख गया और उसने लालच देते हुए कहा कि वह राजा को कहकर संपत्ति का हिस्सा उसके नाम कर देगा, लेकिन उसने उनको अपने पिता की कमरे में सामने रखी तस्वीर पर तीन जूते मारने का प्रस्ताव रखा।
वजीर कु यह बात सुनकर किसान के तीनों पुत्रों ने
ऐसा करने से मना कर दिया और उन्होंने ने यही कहा कि
उनको ऐसी संपत्ति में हिस्सा ही नहीं चाहिए ।लेकिन जब चौथे पुत्र को अंदर बुलाया गया और जब उसके सामने वही प्रस्ताव रखा गया तो उसने वजीर की बात में हाँ में हाँ मिलाते हुए बिना सोचे समझे झट से अपने पिताजी की तस्वीर पर तीन नहीं बल्कि कई जूते जड़ कर दिए थे।
निर्णय हो चुका था….. ….और वह चौथा वही नालियक, आवारा और बिगड़ैल बेटा था।संपत्ति को तीनों में बांटकर चौथे पुत्र को बेदखल कर दिया गया था।
और राजा मान सिंह राठौर अपने वजीर की समझदारी पर खुश था ,जिसके कारण वह सही और सटीक न्यायपूर्ण निर्णय लेने में कामयाब हो पाया था….।

सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 462 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मैं तो इंसान हूँ ऐसा
मैं तो इंसान हूँ ऐसा
gurudeenverma198
★ बचपन और बारिश...
★ बचपन और बारिश...
*Author प्रणय प्रभात*
मोनू बंदर का बदला
मोनू बंदर का बदला
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
प्रेम और घृणा से ऊपर उठने के लिए जागृत दिशा होना अनिवार्य है
प्रेम और घृणा से ऊपर उठने के लिए जागृत दिशा होना अनिवार्य है
Ravikesh Jha
यदि तुम करोड़पति बनने का ख्वाब देखते हो तो तुम्हे इसके लिए स
यदि तुम करोड़पति बनने का ख्वाब देखते हो तो तुम्हे इसके लिए स
Rj Anand Prajapati
*जीवन के संघर्षों में कुछ, पाया है कुछ खोया है (हिंदी गजल)*
*जीवन के संघर्षों में कुछ, पाया है कुछ खोया है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
"लघु कृषक की व्यथा"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
जिंदगी कुछ और है, हम समझे कुछ और ।
जिंदगी कुछ और है, हम समझे कुछ और ।
sushil sarna
तेज़
तेज़
Sanjay ' शून्य'
शिशिर ऋतु-३
शिशिर ऋतु-३
Vishnu Prasad 'panchotiya'
नया साल
नया साल
'अशांत' शेखर
उसकी अदा
उसकी अदा
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
हिंदी दोहा- महावीर
हिंदी दोहा- महावीर
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
कितना छुपाऊँ, कितना लिखूँ
कितना छुपाऊँ, कितना लिखूँ
Dr. Kishan tandon kranti
3185.*पूर्णिका*
3185.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आँख से अपनी अगर शर्म-ओ-हया पूछेगा
आँख से अपनी अगर शर्म-ओ-हया पूछेगा
Fuzail Sardhanvi
*देश भक्ति देश प्रेम*
*देश भक्ति देश प्रेम*
Harminder Kaur
*दिल में  बसाई तस्वीर है*
*दिल में बसाई तस्वीर है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जय श्री राम
जय श्री राम
Er.Navaneet R Shandily
वक्त
वक्त
Ramswaroop Dinkar
खुदा को ढूँढा दैरो -हरम में
खुदा को ढूँढा दैरो -हरम में
shabina. Naaz
बरसों की ज़िंदगी पर
बरसों की ज़िंदगी पर
Dr fauzia Naseem shad
वक्त वक्त की बात है ,
वक्त वक्त की बात है ,
Yogendra Chaturwedi
हाँ ये सच है कि मैं उससे प्यार करता हूँ
हाँ ये सच है कि मैं उससे प्यार करता हूँ
Dr. Man Mohan Krishna
गुरु से बडा ना कोय🙏
गुरु से बडा ना कोय🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
फन कुचलने का हुनर भी सीखिए जनाब...!
फन कुचलने का हुनर भी सीखिए जनाब...!
Ranjeet kumar patre
यह 🤦😥😭दुःखी संसार🌐🌏🌎🗺️
यह 🤦😥😭दुःखी संसार🌐🌏🌎🗺️
डॉ० रोहित कौशिक
इतिहास गवाह है ईस बात का
इतिहास गवाह है ईस बात का
Pramila sultan
रात चाहें अंधेरों के आलम से गुजरी हो
रात चाहें अंधेरों के आलम से गुजरी हो
कवि दीपक बवेजा
मूर्ती माँ तू ममता की
मूर्ती माँ तू ममता की
Basant Bhagawan Roy
Loading...