नेता हिंदुस्तानी
रीत नहीं छोड़ी है अपनी सुनो पुरानी
अब भी करते रहते है वोटों की खींचातानी
नेता हिंदुस्तानी
एक तरफ जिन पर बैठे आरोप लगायें
उनसे ही आगे बढ़कर ये हाथ मिलायें
यहाँ जीतने को अपना ईमान भुलायें
उस थाली में छेद करें जिसमें खुद खाएं
कुर्सी आते ही हाथों में करते हैं मनमानी
नेता हिंदुस्तानी
मतदाता से मीठी मीठी बातें करते
भाषण में पर अपभाषा से कहीं न डरते
अच्छा लगता इनको कर निंदा रस पीना
घोटाले करके भी रखते चौड़ा सीना
बड़े बड़े अफसर से भी भरवा लेते हैं पानी
नेता हिंदुस्तानी
रिश्तों को भी राजनीति ये खूब खिलाते
खानदान की ताकत को भी खूब भुनाते
लगने लगता है चुनाव जैसे हो दंगल
पाने को बस जीत बदलते रहते ये दल
महलों में रहते जैसे रहते हैं राजा जानी
नेता हिंदुस्तानी
सरकारी ये बाँट खज़ाना खूब लुटायें
और इन्हें उपलब्धि भी अपनी गिनवायें
शुरू योजनाएं भी बड़ी बड़ी ये करके
सात पीढ़ियों को अपनी धनवान बनायें
झूठे ट्रस्ट बनाकर फिर बन जाते देखो दानी
नेता हिंदुस्तानी
डॉ अर्चना गुप्ता