नेता जी
वादे इनके बड़े-बड़े,
नारे लगते खड़े-खड़े
नेता जी की बात न पूछो
करें घोटाले बड़े-बड़े।
कभी नहीं किसी से डरते
पैसों पे दिन-रात ही मरते
भले बुरे का भेद नहीं बस
पौकेट अपना प्रेम से भरते
मौके ताडें खड़े-खड़े
करें घोटाले बड़े-बड़े।
कोई न इनका संगी- साथी
पेट है इनका जैसे हाथी,
सदाचार न इन्हें सुहाता
भ्रष्टाचार से गहरा नाता
पाच वर्ष हैं हरे- भरे
करें घोटाले बड़े-बडे़।
मतदाता को खुब रीझाते
भर- भर पेटी मत पा जाते,
एक बार जो जीत गये तो
पाच वर्ष ना शक्ल दिखाते
करें कमाई पड़े- पड़े
करें घोटाबड़े- बड़े।
हर दिन इनकी होली-दिवाली
खाये छककर रबड़ी-मलाई,
भूखा पेट है राष्ट्र सो रहा
इनके पाव न फटे बिवाई,
मौज मनावे पड़े- पड़े
करें घोटाले बड़े-बड़े।
©®पं.सचिन शुक्ल