नेताओं की शान
एकलव्य का लेकर अंगूठा, अर्जुन को महान बना दिया ।
देश का लेकर अंगूठा, देश को कुरुक्षेत्र बना दिया ।।
ये गाडी ये घोड़े ये महकमे, सब तुमने दिया है इनको ।
तुमसे ही लेकर तुम्हारा, खुद को इन्होंने खुदा बना दिया ।।
तुम देखते रहते हो, ये सड़क कब बनेगी, नल कब लगेगा ।
तोड़कर तुम्हारा मकां, इन्होंने अपना महल बना लिया।।
कभी थाने तो कभी कोर्ट, चक्कर काटते रहते हो तुम।
अपना हर ज़ुर्म छुपाकर, खुद को संसद में बिठा लिया ।।
ये क्या करेंगे मौजू तुम्हारी, क्या पूछेंगे बाजार का भाव ।
तुम्हारी तुम जानो, लोकतंत्र ने इनको अज़गर बना दिया।।
विकास के नाम पर इन्होंने, जनता को ठेंगा दिखा दिया ।
जाति-धर्म-संप्रदाय को इन्होंने, वोट का व्यवसाय बना दिया ।।
सड़क,अस्पताल,एयरपोर्ट,स्टेडियम पर अपना अपना नाम लगा लिया
छोड़ दिए अपनी करतूतों के खंडहर, उनको फाइलों में छिपा दिया ।।
देश का नही, ये नेताओं का विकास है, मुरझाया है आम आदमी ।
नेताओं के चेहरे पर, 80 साल बाद भी चमक लाजबाब है ।।
9 से 5 की ड्यूटी कर महीना के आखिर में पाते हो कुछ हजार ।
वस एक बार नेता बन जाओ, कर लो 7 पीढ़ियों की नैया पार ।।