–नेक बातें–त्रिभंगी छंद
त्रिभंगी छंद की परिभाषा और कविता–
त्रिभंगी छंद
————–त्रिभंगी छंद में चार पद होते हैं।इसके प्रत्येक पद में चार चरणों में बत्तीस-बत्तीस मात्राएँ होती हैं।
इसके हर पद की गति तीन बार भंग होती है इसलिए इसका नाम त्रिभंगी छंद है।इसके प्रत्येक पद की यति दस-आठ-आठ-छह(10-8-8-6) मात्राओं पर होती है और पदांत में गुरू मात्रा का होना अति अनिवार्य है। जगण(ISI)वर्जित है और आठ चौकल होते हैं।इसके दो चरणों का तुक मिलना अति आवश्यक है यदि चारों चरणों का मिल जाए तो अति शोभनीय है।यह एक सममात्रिक छंद है।
त्रिभंगी छंद की कविता “नेक बातें”
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भेदी दीवारें,मानव हारें,बेतुक नारे,दुख भरते।
जीवन में ख़ारा,मन हो भारा,तनाव लारा,हम डरते।
राजनीति भारी,तम-सी कारी,घटिया सारी,क्यों करते।
शुभ बातें करना,गुण ले तनना,सीधा चलना,मन हरते।
आपस का लड़ना,यूँ ही चिढ़ना,गलती करना,दुख देता।
मुख सौहे हँसना,दिल में बसना,मीठा कहना,सुख देता।
आपस का मिलना,दोस्ती निभना,अच्छे रहना,शुभ होता।
कष्टों का मिटना,वैरी हटना,आगे बढ़ना,दुख खोता।
राजनीति छोड़ो,जनमन जोड़ो,आगे दौड़ो,अच्छा हो।
हरजन जब बढ़ता,चोटी चढ़ता,मोती जड़ता,अच्छा हो।
घटिया पन हारे,बढ़िया धारे,लगते प्यारे,हम सारे।
शुभ सच्ची बातें,लम्बी रातें,घटती घातें,सम तारे।
सम गिरगिट बनना,धोखा देना,मौका लेना,छोड़ो जी।
सच प्यारे बोलो,मिस्री घोलो,समता तोलो,जोड़ो जी।
ना चुगली करना,आँसू हरना,प्रेमी बनना,दौड़ो जी।
बस दुश्मन बदले,सच ना बदले,सुनले पगले,थौड़ो जी।
आर.एस. “प्रीतम”
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