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8 May 2021 · 1 min read

नूरे श़बाब

झील में तुम उतरे, पानी अभ्र मिल गये।
नूरे शबाब देखकर चाँद तारे हिल गये।
नैन तीर चीर देते, दिल पे करके चोट,
महज़ मुस्कुराहटों से कत्ल करते होंट।

सुर्ख होंट से भी लाल, लिहाज़ा क्या होगा?
डाल पर गुलाब इतना, ताजा क्या होगा ।। 1।।

चाँद चलता रात भर, तुझको ही निहारते,
हवाएं छू गुजरती हैं, जुल्फों को संवारते।
कजलियाँ ये आँख की, बदली में बदल गईं,
कोहिनूर से नयन में, दीप की लौ जल गई।

आपके अंदाज का, अंदाजा क्या होगा!
डाल पर गुलाब इतना ताजा क्या होगा ।।2।।

माहताब से चमकते, गालों के ये तिल नये,
सीने से निकाल कर, ले हमारा दिल गये।
लूट कर जाने वाले, सामने जब मिल गये,
कहता कुछ मैं मगर, होंट ‘चन्दन’ सिल गये।

नज़र बोले; जुबाँ से तकाज़ा क्या होगा?
डाल पर गुलाब इतना ताजा क्या होगा ।।3।।

-चन्दन कुमार ‘मानवधर्मी’,आजमगढ़, उ प्र।
Email – jyotishk21112013@gmail.com

Language: Hindi
1 Like · 411 Views
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