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7 Jun 2019 · 3 min read

***” नीम का पेड़ ‘****

।। ॐ श्री परमात्मने नमः ।।
***”नीम का पेड़ ….एक हादसा ..! ! !
माधव जी के आँगन के सामने नीम का पेड़ लगा हुआ था जो काफी साल पुराना था उसकी शाखाओं में चिड़ियों का झुंड विश्राम करने आता था और सुबह होते ही दाना पानी की तलाश में पेड़ से उड़ जाती थी नीम की टहनियों में पत्ते मस्त हवाओं का झोंका लिये रहता उस पेड़ की डंगाल पर एक डलिया टांग दिया था जिसमे रोज अलग अलग खाने की चीजें रख दी जाती थी गिलहरी और बहुत सी रंग बिरंगी चिड़ियाँ फुदकते हुए आती और इधर उधर की टहनियों में उल्टा लटकते हुए डलिया में रखी चीजें खाती ठंडी के दिनों में धूप सेंकती उछलती कूदती रहती थी।
एक दिन अचानक शाम होते ही तेज आँधी तूफ़ान आ गया अधिकतर जगहों में बिजली गुल हो गई थी अंधेरा छा गया हल्की बूंदाबांदी भी हो रही थी तेज हवाओं के कारण आसपास मौजूद पेड़ पौधे जोर से हिल रहे थे तूफान तेज रफ्तार से होने की वजह से कुछ समझ नही आ रहा था कुछ जोर से आवाज हुई माधव जी की माँ सामने के कमरे में सोफे पर बैठी हुई मंत्र जप कर रही थी तूफान की आवाज से ऐसा लगा मानो कोई डंगाल टूट कर शेड में गिरी हो लेकिन बिजली गुल होने के कारण बाहर निकल नही सके कुछ देर बाद सामने रहने वाले पड़ोसी बाहर कुत्ते और गाय को रोटी खिलाने बाहर निकली तो देखा वो बड़ा सा नीम का पेड़ कहीं दिखाई नहीं दे रहा है फिर उन्हें लगा अँधेरे में समझ नही आ रहा होगा फिर कुछ देर बाद फिर से देखा तो पेड़ सचमुच गायब हो गया है और माधव जी के घर के सामने का शेड भी पिचक गया है वो बड़ा सा नीम का पेड़ छत की दीवाल से टिक गया है और बाकी पेड़ शेड में आकर थम गया है तूफान थमने के बाद ममता पड़ोसी बाहर आकर सूचना दी कि आपके घर के सामने नीम का पेड़ गिर गया है और शेड भी क्षतिग्रस्त हो गया है वैसे वहाँ पर बहुत सी गाड़ियाँ भी रखी हुई थी लेकिन बच गई थी
धीरे से आँधी तूफान थमने के बाद माधव जी बाहर निकल कर देखा सचमुच नीम का पेड़ जड़ से ही उखड़ गया था और छत पर जाकर टिक गया था बाकी हिस्सा शेड पर रखा हुआ था तेज हवाओं से इतने सालों से लगे पेड़ को जड़ से हिला दिया था एक तरफ से शेड पाईप से टूट ही गया था और शेड नीचे की तरफ झुक गया था रात्रि में कुछ लकड़ी के टुकड़े बल्लियां लगाकर शेड को सहारा दिया गया छत पर लगे टीवी का एंटीना भी क्षतिग्रस्त हो गया था प्राकृतिक आपदा से नीम का पेड़ गिर जाने से सारी व्यवस्थाएँ बिगड़ गई थी।
सुबह उठते से ही लकड़ी काटने वालों को बुलाया गया नीम की लकड़ियाँ इतनी मजबूत थी मशीन से भी कट नही सका बड़ी मुश्किल से आधे पेड़ काटे गए बाकी अधूरे कुल्हाड़ी से कटा गया टीवी का नया एंटीना लगवाया अगले दिन वेल्डर्स से शेड की मरम्मत करवायी गई कुछ दिनों बाद सभी चीजें सामान्य हो गई थी लेकिन वो नीम का पेड़ जो ठंडी हवाओं का झोंका देता गर्मी में छाँव देता चिड़ियों का रैन बसेरा था गिलहरियों का उछल कूद का रौनक पेड़ अब निःस्तब्ध बेजान सा एक किनारे टुकड़ो में लकड़ियों का ढेर पड़ा हुआ है …..! !
स्वरचित मौलिक रचना ??
*** शशिकला व्यास ***
#* भोपाल मध्यप्रदेश #*

Language: Hindi
520 Views
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