नींद से जागो हुआ सवेरा
नींद से जागो हुआ सवेरा ,
पंछी भी छोड़ चले बसेरा,
तारे भी टिमटिमा कर चले,
सूने पथ पथिक से मिले,
फूल भी लगे देखो खिलने,
तितली भी आ गई मंडराने,
कोहरा भी चला धीरे धीरे छंटने,
नन्हा पौधा भी लगा है बढ़ने,
न कोई लालसा, न कोई जलन,
देखो प्राकृति कितनी है मगन,
निजस्वार्थ से सरिता बहती,
कहा धरा हमसे कुछ मांगती,
रवि भी नित्य देता हमको प्रकाश,
कभी न कुछ मांगता ऊँचा आकाश,
त्याग अहं को सबसे गले मिले,
दो पल का साथ है प्रेम से चले,
।।।जेपीएल।।।