Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jan 2020 · 2 min read

निश्छल-नैना

निश्छल-नैना
—————-
कुसुम सरीखे भाव लिए हैं,सुरभित वचनों का गान करेंं।
निश्छल-नैना चित हरते हर,देखें अपना ना ध्यान करेंं।।

शीतल जल-से शांत मनोहर,
स्वच्छ चाँदनी-से कांत प्रखर,
जड़ को चेतन कर देते हैं,
निश्छल-नैना प्राण-सरोवर,
दर्श-सुधा-सा अनुपम भावन,सुर वीणा के ज्यों तान करें।
आतिथ्य स्वर्ग-सा देते दर,अपनेपन में हैं मान करें।।

शरद-धूप का संस्कार लिए,
चन्द्र-प्रभा का विस्तार लिए,
चिंतन का पूर प्रसाद बने,
गंगा की पावन धार लिए,
निर्मल सुखद से अनुशासित हो,नूतन को हर्ष प्रदान करें।
उज्ज्वल रूप लिए तत्पर ये,समदर्शी क्षण संधान करें।।

कल-कल करता झरना मानो,
मधुर उषा का खिलना मानो,
तरुवर-सा निस्वार्थ त्याग,
प्रेरित गीता पाठन मानो,
मधु-सी चितवन शबनम मोती,अमर प्रेम नित-नित भान करें।
हारे पंथी सानिध्य सजा,निजमन से झुक सम्मान करें।।

कविता-सा अक्षय पात्र कहदूँ,
अध्यात्मिक नवरात्रे कहदूँ,
मानव को मानव करते जो,
आत्मा के शुभम् शास्त्र कहदूँ,
निश्छल-नैना जीत रहे मन,जग-नभ की एक उड़ान करें।
गिरतों का संबल बनते ये,रूठों का भी अनुमान करें।।

संबंधों को कायम रखते,
तन को छोड़ो मन को तकते,
भेद नहीं पर से खेद नहीं,
रिश्तों में अपनापन भरते,
इनकी छत्रछाया मखमल-सी,मन कोमलता उत्थान करें।
पाषाण-हृदय भी देखें जो,उनका चित भी उद्यान करें।।

चुंबक बनके खींच रहे हैं,
मानवता पर सींच रहे हैं,
लोहा भी कंचन कर देते,
पारस मानो बीच रहें हैं,
सत्य लिखी परिभाषा दिखते,परिवर्तन का गुणगान करें।
जितने अनुपम अद्भुत दिखते,उतनी सबकी ये शान करें।।

जीवन सपना कुछ और नहीं,
प्रेम रहे बस कुछ और नहीं,
भ्रमित बने रहना जग माया,
सम रहता जीवन दौर नहीं,
समझ रहे हैं तांडव नैना,मधुर समय का रसपान करें।
तालमेल सीखाते रहते,भाव सभी ये सौपान करें।।

पीर पराई समझें अपनी,
एक रखें हैं कथनी करनी,
वटवृक्ष-सी छाया करते हैं,
माला सेवा प्रतिपल जपनी,
दुख अपने खुद ही दूर करो,साहस भरते वच दान करें।
मरहम बनके हँसते रहते,रोगों का सदा निदान करें।।

जग भार नहीं है समझाते,
विष को भी हैं अमृत बनाते,
शक्ति शील सौंदर्य बिखेरें,
रोतों को भी ख़ूब हँसाते,
मस्ती प्रेम भरा जीवन हो,हर उलझन यूँ आसान करें।
सावन-सा मन दृश्य सजाकर,रंजन अपनी ही आन करें।।

मीत बनाकर सबको चलना,
निष्क्रिय बनके हाथ न मलना,
कार्य करो तुम हँसते-हँसते,
भूले से भी रुदन न करना,
निश्छल-नैना प्रीत सिखाते,चाहत को जीत जवान करें।
सबको भाते जोड़ें नाते,जीवन की रीत महान करें।।

–आर.एस.प्रीतम

Language: Hindi
Tag: गीत
3 Likes · 2 Comments · 287 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from आर.एस. 'प्रीतम'
View all
You may also like:
सिर्फ पार्थिव शरीर को ही नहीं बल्कि जो लोग जीते जी मर जाते ह
सिर्फ पार्थिव शरीर को ही नहीं बल्कि जो लोग जीते जी मर जाते ह
पूर्वार्थ
परिवार, प्यार, पढ़ाई का इतना टेंशन छाया है,
परिवार, प्यार, पढ़ाई का इतना टेंशन छाया है,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
प्रतिभाशाली या गुणवान व्यक्ति से सम्पर्क
प्रतिभाशाली या गुणवान व्यक्ति से सम्पर्क
Paras Nath Jha
संस्कारों के बीज
संस्कारों के बीज
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"छछून्दर"
Dr. Kishan tandon kranti
Who's Abhishek yadav bojha
Who's Abhishek yadav bojha
Abhishek Yadav
विश्वगुरु
विश्वगुरु
Shekhar Chandra Mitra
याद में
याद में
sushil sarna
हर इक सैलाब से खुद को बचाकर
हर इक सैलाब से खुद को बचाकर
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
मैंने इन आंखों से गरीबी को रोते देखा है ।
मैंने इन आंखों से गरीबी को रोते देखा है ।
Phool gufran
आजा माँ आजा
आजा माँ आजा
Basant Bhagawan Roy
गणतंत्र के मूल मंत्र की,हम अकसर अनदेखी करते हैं।
गणतंत्र के मूल मंत्र की,हम अकसर अनदेखी करते हैं।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
दिल तोड़ना ,
दिल तोड़ना ,
Buddha Prakash
पुस्तकों से प्यार
पुस्तकों से प्यार
surenderpal vaidya
सफर में चाहते खुशियॉं, तो ले सामान कम निकलो(मुक्तक)
सफर में चाहते खुशियॉं, तो ले सामान कम निकलो(मुक्तक)
Ravi Prakash
हमारी काबिलियत को वो तय करते हैं,
हमारी काबिलियत को वो तय करते हैं,
Dr. Man Mohan Krishna
वह
वह
Lalit Singh thakur
कवित्त छंद ( परशुराम जयंती )
कवित्त छंद ( परशुराम जयंती )
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
रूह को खुशबुओं सा महकाने वाले
रूह को खुशबुओं सा महकाने वाले
कवि दीपक बवेजा
*अगवा कर लिया है सूरज को बादलों ने...,*
*अगवा कर लिया है सूरज को बादलों ने...,*
AVINASH (Avi...) MEHRA
तुमने दिल का कहां
तुमने दिल का कहां
Dr fauzia Naseem shad
अहंकार अभिमान रसातल की, हैं पहली सीढ़ी l
अहंकार अभिमान रसातल की, हैं पहली सीढ़ी l
Shyamsingh Lodhi (Tejpuriya)
2845.*पूर्णिका*
2845.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मैं भूत हूँ, भविष्य हूँ,
मैं भूत हूँ, भविष्य हूँ,
Harminder Kaur
#कालचक्र
#कालचक्र
*Author प्रणय प्रभात*
Yashmehra
Yashmehra
Yash mehra
पहला सुख निरोगी काया
पहला सुख निरोगी काया
जगदीश लववंशी
हुस्न और खूबसूरती से भरे हुए बाजार मिलेंगे
हुस्न और खूबसूरती से भरे हुए बाजार मिलेंगे
शेखर सिंह
संवेदनहीन प्राणियों के लिए अपनी सफाई में कुछ कहने को होता है
संवेदनहीन प्राणियों के लिए अपनी सफाई में कुछ कहने को होता है
Shweta Soni
मित्रता क्या है?
मित्रता क्या है?
Vandna Thakur
Loading...