Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Nov 2017 · 1 min read

नियति का खेल

नदी की बहती धारा
नही उसका किनारा।1।

चाँद से रोशन चाँदनी
पूनम रात का सहारा।2।

फूल में बैठे हुए भँवरे
रस ले फूल का सारा।3।

गर करुणामयी हो जीवन
ना करो जीवन से किनारा।4।

सुख दुख,दिन रात सब होते हैं
ये सब नियति का खेल हैं सारा।5।

®आकिब जावेद

Language: Hindi
789 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Akib Javed
View all
You may also like:
तू रुकना नहीं,तू थकना नहीं,तू हारना नहीं,तू मारना नहीं
तू रुकना नहीं,तू थकना नहीं,तू हारना नहीं,तू मारना नहीं
पूर्वार्थ
हट जा भाल से रेखा
हट जा भाल से रेखा
Suryakant Dwivedi
Hello
Hello
Yash mehra
मां बेटी
मां बेटी
Neeraj Agarwal
कहती गौरैया
कहती गौरैया
Dr.Pratibha Prakash
रमेशराज की तेवरी
रमेशराज की तेवरी
कवि रमेशराज
सुदामा कृष्ण के द्वार (1)
सुदामा कृष्ण के द्वार (1)
Vivek Ahuja
गाँधी जी की लाठी
गाँधी जी की लाठी
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
रावण
रावण
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
वो कुछ इस तरह रिश्ता निभाया करतें हैं
वो कुछ इस तरह रिश्ता निभाया करतें हैं
शिव प्रताप लोधी
In lamho ko kaid karlu apni chhoti mutthi me,
In lamho ko kaid karlu apni chhoti mutthi me,
Sakshi Tripathi
ये  दुनियाँ है  बाबुल का घर
ये दुनियाँ है बाबुल का घर
Sushmita Singh
3218.*पूर्णिका*
3218.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जिंदगी एक सफ़र अपनी
जिंदगी एक सफ़र अपनी
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मैं ज्योति हूँ निरन्तर जलती रहूँगी...!!!!
मैं ज्योति हूँ निरन्तर जलती रहूँगी...!!!!
Jyoti Khari
"कवियों की हालत"
Dr. Kishan tandon kranti
*रहेगा सर्वदा जीवन, सभी को एक यह भ्रम है (मुक्तक)*
*रहेगा सर्वदा जीवन, सभी को एक यह भ्रम है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
मसला ये हैं कि ज़िंदगी उलझनों से घिरी हैं।
मसला ये हैं कि ज़िंदगी उलझनों से घिरी हैं।
ओसमणी साहू 'ओश'
हमारा विद्यालय
हमारा विद्यालय
आर.एस. 'प्रीतम'
■ आज का मुक्तक
■ आज का मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
कुछ दिन से हम दोनों मे क्यों? रहती अनबन जैसी है।
कुछ दिन से हम दोनों मे क्यों? रहती अनबन जैसी है।
अभिनव अदम्य
बैठे थे किसी की याद में
बैठे थे किसी की याद में
Sonit Parjapati
करवाचौथ
करवाचौथ
Mukesh Kumar Sonkar
अपनी इच्छाओं में उलझा हुआ मनुष्य ही गरीब होता है, गरीब धोखा
अपनी इच्छाओं में उलझा हुआ मनुष्य ही गरीब होता है, गरीब धोखा
Sanjay ' शून्य'
........,,?
........,,?
शेखर सिंह
आपको हम
आपको हम
Dr fauzia Naseem shad
चूड़ियां
चूड़ियां
Madhavi Srivastava
जग के जीवनदाता के प्रति
जग के जीवनदाता के प्रति
महेश चन्द्र त्रिपाठी
आज की बेटियां
आज की बेटियां
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Loading...