ना हूँ किसी की निगाह में l
ना हूँ किसी की निगाह में l
ना हूँ किसी की पनाह में ll
न आड़े किसी की राह में l
नहीं हूँ किसी की आह में ll
असत्य, आरम्भ में छोडूं l
चलूँ हूँ सत्य की चाह में ll
बंधन, बहार बाहर करे l
भक्ति प्रेम में, न विवाह में ll
सदा रहती, टूटी फूटी l
कुछ कमियां रही, निबाह है ll
प्यास, मनमौजी मस्त चले l
सहज अपनी मस्त राह में ll
अरविन्द व्यास “प्यास”