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10 Jun 2019 · 1 min read

मांगा न था

जयादा हमने भी कुछ चाहा न था
खुदा ने दिया वो जो मांगा न था

दुनिया को देखकर सब्र कर लिया
बहुतो को इतना भी मिला न था

वो शोक अब कहा पुरे होते है मेरे
पहले बाप के पैसे को समझा न था

हो गई भूल नादानी मे हमसे ये
मुहब्बत का कोई इरादा न था

मुहब्बत करके हुआ ये एहसास हमे
बिना इश्क जीना भी जीना न था
मोहन बाम्णिया

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