नाव है मंझधार में
गर नाव है मंझधार में,
तो सुन ले ऐ नाविक!
थाम ले पतवार हाथ में,
रख हौंसला तू आगे बढ़,
मत डर, तू मत डर ,
यह लहरें डराएंगी, आँखे दिखाएंगी
इनसे मिला कर नज़रें, तू आगे बढ़
मत डर, तू मत डर ,
विशाल समुन्द्र रोकेगा, टोकेगा तुझे
इससे हाथ चार कर, तू आगे बढ़
मत डर,तू मत डर ,
यह मौसम करेगा परेशान, हैरान तुझे
इसका सामना कर, तू आगे बढ़
मत डर, तू मत डर
है मंजिल को गर पाना, तो बढ़ता चल,
चलता चल, मत डर, तू मत डर …….