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23 Jan 2020 · 1 min read

नारी

नारी है नारायणी, करें आप सम्मान।
कहलाती अर्द्धांगिनी, इसका रखिए ध्यान।।

दारू पीकर पीटते, नारी को शैतान।
लज्जित करते हैं स्वयम्, अपने घर का मान।‌

पाप नाशिनी बन गई, भागीरथ थे लाय।
लेकिन मैली हो गई, आज गंदगी पाय।।

लक्ष्मी बाई लिख गयी , रुधिर भरा इतिहास।
वह राजनीति हो गयी, स्वार्थ और परिहास ।।

प्रणयपथ चली राधिका ,विरह मिला बेमोल।
कर्म राह मोहन चुने, राधे राधे बोल।।

जग की माता जानकी , पतिव्रता था धर्म।
अग्निपरीक्षा ले लिये , समझ न पाए मर्म।।

जो रखती परिवार की, हर इक चीज़ सहेज।
शादी में तुम चाहते, उससे खूब दहेज।।

नार अहिल्या हो गई, झेल श्राप पाषाण।
तारण करने के लिए, आए स्वंयम् भगवान।

थी अद्भुत वह सुंदरी,रजवाड़े की शान।
प्रेम बना जब वासना,किया आत्म बलिदान।।

सपने सारे टूटते, अरमां होते ख़ाक।
नारी को अभिषाप है, जग में तीन तलाक़।।

धीरज टूटा इस तरह, घर लगता वीरान।
लोग नहीं करते यहां, विधवा का सम्मान।

नारी के अपमान का, कर दो अब तो त्याग।
इसको मत पूजो मगर, दे दो बस अनुराग

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 419 Views
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