नारी
नारी ! तुम पुष्प हो ,
और यह जग है उपवन ,
सुगंध से अपनी महकाओ इसे .
नारी ! तुम उत्तर हो ,
और यह जग प्रश्न ,
व्याख्या से अपनी सुलझाओ इसे .
नारी! तुम गीत हो ,
और यह जग है धुन ,
कोमल स्वर में गुनगुनाओं इसे .
नारी ! तुम प्रेरणा हो ,
और यह जग है मन ,
स्वेच्छा से ही अपनाओ इसे .