नारी
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नारी केवल नारी नहीं
नारी तो एक आलय है
अभ्यर्थी का विद्यालय वह
देवों की देवालय है।
नारी केवल नारी नहीं
सृष्टी की वह जननी है
मातृ रूप ममता से पूरीत
रुप प्रचण्ड वह चंडी है।
नारी केवल नारी नहीं
वह अपरोक्ष एक शक्ति है
जड़ चेतन समाहीत इसमें
संपूर्ण समर्पण भक्ति है।!
©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”