Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jul 2017 · 1 min read

नारी

सुबह की किरन से पहले
धरती को जो चमकाए,
हाथों से मोती बिखेरने
वह दौड़ी चली आए;
भाग बनाए वह सबके
और दबी कुचली जाए,
दिखावा झूठी हमदर्दी की
हरपल उसे सभी दिखाए;
अपना हो या पराया
सब पर वह वारी जाए,
भगवान को भी जनी जिसने
जग में वह नारी कहलाये।

Language: Hindi
229 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
रुसवा दिल
रुसवा दिल
Akash Yadav
" बंध खोले जाए मौसम "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
■ आज की ग़ज़ल
■ आज की ग़ज़ल
*Author प्रणय प्रभात*
स्मृतिशेष मुकेश मानस : टैलेंटेड मगर अंडररेटेड दलित लेखक / MUSAFIR BAITHA 
स्मृतिशेष मुकेश मानस : टैलेंटेड मगर अंडररेटेड दलित लेखक / MUSAFIR BAITHA 
Dr MusafiR BaithA
तेरा मेरा साथ
तेरा मेरा साथ
Kanchan verma
मकर संक्रांति पर्व
मकर संक्रांति पर्व
Seema gupta,Alwar
परिश्रम
परिश्रम
Neeraj Agarwal
रंजीत कुमार शुक्ल
रंजीत कुमार शुक्ल
Ranjeet Kumar Shukla
पुराने पन्नों पे, क़लम से
पुराने पन्नों पे, क़लम से
The_dk_poetry
"पहचान"
Dr. Kishan tandon kranti
दोहा
दोहा
sushil sarna
.......,,
.......,,
शेखर सिंह
"पुरानी तस्वीरें"
Lohit Tamta
गुरु मांत है गुरु पिता है गुरु गुरु सर्वे गुरु
गुरु मांत है गुरु पिता है गुरु गुरु सर्वे गुरु
प्रेमदास वसु सुरेखा
*नया साल*
*नया साल*
Dushyant Kumar
मेरी माटी मेरा देश भाव
मेरी माटी मेरा देश भाव
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
हर कोई जिन्दगी में अब्बल होने की होड़ में भाग रहा है
हर कोई जिन्दगी में अब्बल होने की होड़ में भाग रहा है
कवि दीपक बवेजा
खुद में हैं सब अधूरे
खुद में हैं सब अधूरे
Dr fauzia Naseem shad
बड़ी मोहब्बतों से संवारा था हमने उन्हें जो पराए हुए है।
बड़ी मोहब्बतों से संवारा था हमने उन्हें जो पराए हुए है।
Taj Mohammad
*स्वस्थ देह दो हमको प्रभु जी, बाकी सब बेकार (गीत)*
*स्वस्थ देह दो हमको प्रभु जी, बाकी सब बेकार (गीत)*
Ravi Prakash
बूँद-बूँद से बनता सागर,
बूँद-बूँद से बनता सागर,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मर्द की कामयाबी के पीछे माँ के अलावा कोई दूसरी औरत नहीं होती
मर्द की कामयाबी के पीछे माँ के अलावा कोई दूसरी औरत नहीं होती
Sandeep Kumar
मैं अपनी आँख का ऐसा कोई एक ख्वाब हो जाऊँ
मैं अपनी आँख का ऐसा कोई एक ख्वाब हो जाऊँ
Shweta Soni
रंग भेद ना चाहिए विश्व शांति लाइए सम्मान सबका कीजिए
रंग भेद ना चाहिए विश्व शांति लाइए सम्मान सबका कीजिए
DrLakshman Jha Parimal
कर्म-धर्म
कर्म-धर्म
चक्षिमा भारद्वाज"खुशी"
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ओझल मनुआ मोय
ओझल मनुआ मोय
श्रीहर्ष आचार्य
हँस लो! आज  दर-ब-दर हैं
हँस लो! आज दर-ब-दर हैं
दुष्यन्त 'बाबा'
The most awkward situation arises when you lie between such
The most awkward situation arises when you lie between such
Sukoon
2329. पूर्णिका
2329. पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
Loading...