Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Mar 2020 · 5 min read

Sls-ns नारी शक्ति ( नारी का साहस )

किसी शहर में एक परिवार रहता था उस परिवार में तीन लोग रहते थें राजेंद्र ,रेखा जो राजेंद्र की बेटी थी तथा रेखा की दादी
रेखा की मां बचपन में ही मर गई थी इस लिए रेखा का पालन पोषण उसके पिता एवं उनकी दादी ने किया था रेखा अपने परिवार के साथ खुश थी रेखा के पिता दरोगा थे
कुछ दिन पहले रेखा की दादी का तबियत खराब हुआ डाक्टर ने इलाज किया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ तो डाक्टरों ने कहा कुछ दिनों के लिए इन्हें गांव के वातावरण में रखने से इनकी हालत में सुधार होगा और यह जल्दी ठीक हो जाएगी
अब राजेंद्र अपनी नोकरी के चलते गांव नहीं जा सकते थे तो उन्होंने ने अपनी बेटी रेखा से कहा कि तुम दादी को लेकर कुछ दिनों के लिए गांव चलीं जाओ और जैसे ही दादी की तबीयत ठीक हो जाएगी तो तुम अपनी दादी को लेकर आ जाना रेखा ने भी कहा यह ठीक रहेगा।अगले दिन सुबह राजेंद्र अपनी मां तथा बेटी को गांव छोड़ कर आता है तो उसे पता चला है कि उसका तबादला दुसरे जगह हो गया है और उसे आज ही जाना है। राजेन्द्र शाम तक वहां पहुंच कर रिपोर्ट करता है और वहां अपना चार्ज संभालता है। तीन चार दिन बीतने के बाद उसे पता चलता है कि यहां के जंगलों में लकड़ी चोरी है रही है जो एक गिरोह कर रहा है जिसे आज तक किसी ने नहीं पकड़ पाया है उस गिरोह का सरदार केलाश है तथा उनके साथ तीस चालीस लोग थे । इन्हीं लोगों की वजह से यहां के लोगों जंगलों में नहीं जाते थे। राजेन्द्र ने मन ही मन उसे‌ पकड़ ने के फेसला कर लिया और जगल में अपने जासुस लगा दिये सरकार भी इनसे परेशान होकर उनके उपर इनाम रखी थी पर कोई फियदा नहीं था क्यो की डाकुओं के डर से कोई व्यक्ति पुलिस तथा सरकार का साथ नहीं देती थी इसलिए वह आज तक पकड़े नहीं गये थे ।
एक दिन राजेंद्र को उसके गुप्तचर का फोन आया कि केलाश कल अपने आदमियों के साथ जंगल के नदी के पास लकड़ी को काटेगा और वही से उसे बेचेगा । राजेन्द्र आगले दिन अपने तथा बिस्तर पुलिस वालों के साथ उस जगह पर पहुंच जाता है और केलाश का इन्तजार करने लगता है कुछ देर बाद केलाश‌ अपने आदमियों के साथ आता है और पेड़ों की कटाई करने लगता है । तभी पुलिस उन पर हमला करती है लेकिन केलाश और उसके साथी भी पुलिस पर फायरिंग करने लगते है इस लड़ाई में केलाश के सात आठ आदमी मारे जाते हैं लेकिन केलाश वहा‌ से भाग जाता है । राजेन्द्र की डिपार्टमेंट में बहुत बड़ाई होती है क्योंकि आज से पहले उस इलाके में किसी को सफलता नहीं मिली थी।
इधर केलाश अपने साथी के मोत का बदला लेने के लिए राजेंद्र के पिछे पड़ गया और एक दिन उसे यह मोका मिल गया जब राजेंद्र छुट्टी लेकर अपनी गाड़ी से गांव जा रहा था तब‌ केलाश ने राजेंद्र की गाडी को बम से उडा दीया जिसमें राजेंद्र की मौत हो गई
इधर सरकार ने और पुलिस वालों तथा गुप्तचर केलाश को पकड़ने के लिए लगा दिये
केलाश बहुत खुश था क्योंकि इससे इलाके में उसके नाम का और दहसत है गया जिससे लोग जगल की और जाना बंद कर दिये और केलाश गांव वालों से कर वसूली करने लगा कुछ दिन ऐसे ही बीत गये
उसी गांव में एक हरिया रहता था जिसकी बेटी नीरज बीस साल बाद अपनी मोसी के घर से गांव लोटी थी नीरजा को गांव में कोई नहीं पहचानता था क्योंकि वह जब पांच साल की थी तभी वह चलीं गईं थीं
एक दिन लकड़ी लाने के लिए नीरजा जंगल चली गई जहां उसकी मुलाकात केलाश के आदमी तो से होती है जो उसे जंगल की लकड़ी या लेजाने से उसे मना कर देते हैं और कहते हैं कि इस जगह की लकड़ी पर उनका अधिकार है इस पर नीरजा उनसे कहती हैं की इस जंगल की लकड़ी पर उसका अधिकार है क्योंकि इस जंगल का मालिक केलाश उसका होने वाला पति है।
यह बात सुनकर केलाश के आदमी नीरजा को केलाश के पास ले जाते हैं और केलाश‌ को सारी बात बताते हैं ।केलाश अपने आदमियों से कहता है की यह पुलिस की मुखविर है इसे गोली मार दो । इस पर नीरजा जोर जोर से हंसने लगी है और कहती है जीसकी खबर रोज अखबारों में निकली और मैं खुश होकर अपने दोस्तों को तुम्हारे बारे में बताया करती कि केलाश कितना बहादुर है और में मन ही मन तुम्हें अपना पति मान लिया था तो ठीक है अगर तुम्हें मुझसे भरोसा नहीं है तो में यहां से जा नहीं हूं और तुम मुझे गोली मार देना और यह कह कर नीरजा वहां से चली गई।
केलाश ने भी गाव में अपने आदमियों को भेजकर नीरजा के बारे में पता लगाया तो उसे पता चला कि नीरजा ठीक कह रही थी।
केलाश ने भी नीरजा से शादी करने का मन बना लिया और निरजा को गांव से अपने आदमियों से कह कर जंगल में उठवा ले आया और नीरजा को अपने मन की बात बताई । नीरजा बोली में बहुत खुश हूं कि तुम मुझे शादी के लिए राजी हो गए हो लेकिन में चाहती हूं कि तुम मुझसे शादी हमारे गांव वाले मनदीर में करो केलाश बहुत देर मना करने के बाद मान जाता है और नीरजा से कहता है ठिक के अब हमारी शादी तुम्हारे गांव वाले मनंदीर पर होगी तूम घर जाओ नीरजा गांव आ जाती है और शादी की तैयारी में लग जाती हैं।
अगले दिन साम को जब मन्दिर में नीरजा और केलाश की शादी होने वाली होती है तभी वहां पुलिस आ जाती है और केलाश तथा उसके साथियों को गिरफ्तार कर लेती है। और जाते समय पुलिस नीरजा को धन्यवाद कहती हैं। जिससे केलाश चोट जाता है
तब नीरजा केलाश को सारी बात बताती है कि में इस गांव की नहीं हु मेरा नाम रेखा है मैं राजेंद्र पुलिस वाले की बेटी हु जिसे तुमने बम से मार दिया था जिसका बदला लेने के लिए मेंने ये सब नाटक किया था।

Language: Hindi
1 Like · 318 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
गांव के छोरे
गांव के छोरे
जय लगन कुमार हैप्पी
चौकड़िया छंद / ईसुरी छंद , विधान उदाहरण सहित , व छंद से सृजित विधाएं
चौकड़िया छंद / ईसुरी छंद , विधान उदाहरण सहित , व छंद से सृजित विधाएं
Subhash Singhai
★किसान ★
★किसान ★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
आज फ़िर दिल ने इक तमन्ना की..
आज फ़िर दिल ने इक तमन्ना की..
Rashmi Sanjay
2544.पूर्णिका
2544.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
यूँ ही नही लुभाता,
यूँ ही नही लुभाता,
हिमांशु Kulshrestha
जिस प्रकार इस धरती में गुरुत्वाकर्षण समाहित है वैसे ही इंसान
जिस प्रकार इस धरती में गुरुत्वाकर्षण समाहित है वैसे ही इंसान
Rj Anand Prajapati
भाषाओं का ज्ञान भले ही न हो,
भाषाओं का ज्ञान भले ही न हो,
Vishal babu (vishu)
नहीं आती कुछ भी समझ में तेरी कहानी जिंदगी
नहीं आती कुछ भी समझ में तेरी कहानी जिंदगी
gurudeenverma198
समझा दिया
समझा दिया
sushil sarna
आजकल का प्राणी कितना विचित्र है,
आजकल का प्राणी कितना विचित्र है,
Divya kumari
*खुशियों की सौगात*
*खुशियों की सौगात*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*मोटू (बाल कविता)*
*मोटू (बाल कविता)*
Ravi Prakash
"मैं" एहसास ऐ!
Harminder Kaur
उन कचोटती यादों का क्या
उन कचोटती यादों का क्या
Atul "Krishn"
"दिल चाहता है"
Pushpraj Anant
कोई ऐसा बोलता है की दिल में उतर जाता है
कोई ऐसा बोलता है की दिल में उतर जाता है
कवि दीपक बवेजा
'तिमिर पर ज्योति'🪔🪔
'तिमिर पर ज्योति'🪔🪔
पंकज कुमार कर्ण
■ और क्या चाहिए...?
■ और क्या चाहिए...?
*Author प्रणय प्रभात*
मेले
मेले
Punam Pande
तेरी यादों की खुशबू
तेरी यादों की खुशबू
Ram Krishan Rastogi
एकांत बनाम एकाकीपन
एकांत बनाम एकाकीपन
Sandeep Pande
मे गांव का लड़का हु इसलिए
मे गांव का लड़का हु इसलिए
Ranjeet kumar patre
*
*"जहां भी देखूं नजर आते हो तुम"*
Shashi kala vyas
होठों पर मुस्कान,आँखों में नमी है।
होठों पर मुस्कान,आँखों में नमी है।
लक्ष्मी सिंह
दर्द
दर्द
Dr. Seema Varma
"पानी-पूरी"
Dr. Kishan tandon kranti
जंग अहम की
जंग अहम की
Mamta Singh Devaa
हौसला देने वाले अशआर
हौसला देने वाले अशआर
Dr fauzia Naseem shad
बहुत अंदर तक जला देती हैं वो शिकायतें,
बहुत अंदर तक जला देती हैं वो शिकायतें,
शेखर सिंह
Loading...