Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Jun 2017 · 1 min read

नारी पुरूष की शक्ति

?????
नर व नारी एक-दूसरे का पूरक,
नारी पुरूष की शक्ति का उर्वरक।

नारी बिना पुरूष जीवन अपूर्ण,
नारी ही पुरूषों को करती पूर्ण।

नारी पुरूष शक्ति की जीवन सुधा
संतप्त पुरूष के लिए शीतल छाया।

पुरूष का जीवन होता है निरस,
नारी रंगभर के बनाती उसे सरस।

पुरूष एक उजड़ा हुआ उपवन,
नारी ही सिंचती बनाती मधुवन।

पुरूष का जीवन अन्धकार युक्त,
रोशनी पैदाकर नारी ने किया मुक्त।

नारी बिना नहीं पुरूष की कल्पना,
नारी ही पुरूष जीवन की अल्पना।
????—लक्ष्मी सिंह ?☺

Language: Hindi
1 Comment · 577 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
You may also like:
एक नज़र में
एक नज़र में
Dr fauzia Naseem shad
गोलगप्पा/पानीपूरी
गोलगप्पा/पानीपूरी
लक्ष्मी सिंह
संस्मरण:भगवान स्वरूप सक्सेना
संस्मरण:भगवान स्वरूप सक्सेना "मुसाफिर"
Ravi Prakash
सबको सिर्फ़ चमकना है अंधेरा किसी को नहीं चाहिए।
सबको सिर्फ़ चमकना है अंधेरा किसी को नहीं चाहिए।
Harsh Nagar
■ आ चुका है वक़्त।
■ आ चुका है वक़्त।
*Author प्रणय प्रभात*
सफर में महोब्बत
सफर में महोब्बत
Anil chobisa
श्री राम एक मंत्र है श्री राम आज श्लोक हैं
श्री राम एक मंत्र है श्री राम आज श्लोक हैं
Shankar N aanjna
हार्पिक से धुला हुआ कंबोड
हार्पिक से धुला हुआ कंबोड
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
बोलो!... क्या मैं बोलूं...
बोलो!... क्या मैं बोलूं...
Santosh Soni
शहर माई - बाप के
शहर माई - बाप के
Er.Navaneet R Shandily
भीगे-भीगे मौसम में.....!!
भीगे-भीगे मौसम में.....!!
Kanchan Khanna
"तब कैसा लगा होगा?"
Dr. Kishan tandon kranti
तू
तू
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
#अज्ञानी_की_कलम
#अज्ञानी_की_कलम
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
लोग जाम पीना सीखते हैं
लोग जाम पीना सीखते हैं
Satish Srijan
बात मेरे मन की
बात मेरे मन की
Sûrëkhâ Rãthí
I love you
I love you
Otteri Selvakumar
आप दिलकश जो है
आप दिलकश जो है
gurudeenverma198
मार्मिक फोटो
मार्मिक फोटो
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
2816. *पूर्णिका*
2816. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ek abodh balak
ek abodh balak
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ज़िंदगी के मर्म
ज़िंदगी के मर्म
Shyam Sundar Subramanian
नफ़रत सहना भी आसान हैं.....⁠♡
नफ़रत सहना भी आसान हैं.....⁠♡
ओसमणी साहू 'ओश'
कविता बाजार
कविता बाजार
साहित्य गौरव
मेरी चाहत रही..
मेरी चाहत रही..
हिमांशु Kulshrestha
टन टन बजेगी घंटी
टन टन बजेगी घंटी
SHAMA PARVEEN
सुकर्म से ...
सुकर्म से ...
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
*तुम  हुए ना हमारे*
*तुम हुए ना हमारे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*मेरे पापा*
*मेरे पापा*
Shashi kala vyas
Kahi pass akar ,ek dusre ko hmesha ke liye jan kar, hum dono
Kahi pass akar ,ek dusre ko hmesha ke liye jan kar, hum dono
Sakshi Tripathi
Loading...