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8 Mar 2021 · 1 min read

नारी तुम नारायणी हो

नारी तुम नारायणी हो
******************
नारी से ही जीवन है,
नारी से जन जीवन है।

प्रसव पीड़ा सहकर वो,
शिशु को दे नवजीवन है

जग में मिलती पहचान,
दे सभी को अवतरण है।

सुबह से शाम रहे व्यस्त,
काम उसे कई दर्जन है।

ममतामयी तरु जगत में,
प्रेम का निश्चल दर्पण है।

हर खुशी वो कुर्बान करे,
कर दे सर्वस्व अर्पण है।

सबको जीवन देती रहती,
स्वयं लगे जैसे निर्जन है।

पाक,पवित्र सज्जन देवी,
उसके लिए सब दुर्जन है।

गुल से गुलशन महकती,
घर मे हो दैविक दर्शन है।

चंदन जैसी खुश्बू बिखेरे,
निलय में प्रभु वंदन है।

रिश्तों का हैं ताना बुनती,
रिश्तों में स्नेहिल बंधन है।

माँ, बहन,बुआ ,पत्नी है,
हर नाते में श्रेष्ठ सृजन है।

अत्याचार है सहती रहती,
हर संकट का निकंदन है।

नारी तुम ही नारायणी हो,
सृष्टि का गुरुत्वाकर्षण है।

रौद्र रूप में जब आ जाए,
दुर्गा माँ जैसा हो गर्जन है।

प्रेम रस भरे जन जन में,
रहे निज खाली बर्तन है।

महिला दिवस मुबारक,,
पर कष्टों का हो घर्षण है।

सुंदरता का मनोरम रूप,
सुंदरता का आकर्षण है।

सुख दुख का घना सागर,
कोल्हू में फंसी गरदन हैं।

मनसीरत सदैव आभारी,
हर रूप उस का वर्जन है।
*******************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 682 Views
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