Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Mar 2017 · 1 min read

नारी तुम अपनी पहचान करो ।

नारी तुम अपनी पहचान करो ।
उठकर अपना सम्मान करो ।
अबला नहीं तुम तो सबला हो
शक्ति हो तुम ये तो ध्यान करो।
नारी तुम अपनी पहचान करो।
उठकर अपना सम्मान करो।
*
ममता की तो मूरत हो तुम ।
प्रेम भाव की सूरत हो तुम ।
सबके लिए तो तुम जीती हो
पर तुम भी हो कुछ ज्ञान करो।
नारी तुम अपनी पहचान करो।
उठकर अपना सम्मान करो।
*
सबकी खुशी में खुश हो लेती हो।
अपने आंसू को तो पी लेती हो ।
अबला हो ये क्यों दर्शाती हो तुम
जागो और अपना उत्थान करो।
नारी तुम अपनी पहचान करो ।
उठकर अपना सम्मान करो ।
@पूनम झा। कोटा,राजस्थान।
#######################

Language: Hindi
Tag: गीत
3 Likes · 1 Comment · 809 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*जन्मदिवस पर केक ( बाल कविता )*
*जन्मदिवस पर केक ( बाल कविता )*
Ravi Prakash
Ranjeet Shukla
Ranjeet Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
डा. तुलसीराम और उनकी आत्मकथाओं को जैसा मैंने समझा / © डा. मुसाफ़िर बैठा
डा. तुलसीराम और उनकी आत्मकथाओं को जैसा मैंने समझा / © डा. मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
बदल लिया ऐसे में, अपना विचार मैंने
बदल लिया ऐसे में, अपना विचार मैंने
gurudeenverma198
कर्मयोगी संत शिरोमणि गाडगे
कर्मयोगी संत शिरोमणि गाडगे
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
मां का आंचल(Happy mothers day)👨‍👩‍👧‍👧
मां का आंचल(Happy mothers day)👨‍👩‍👧‍👧
Ms.Ankit Halke jha
बुंदेली दोहा-
बुंदेली दोहा- "पैचान" (पहचान) भाग-2
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
होली...
होली...
Aadarsh Dubey
हमनवा
हमनवा
Bodhisatva kastooriya
वो ज़ख्म जो दिखाई नहीं देते
वो ज़ख्म जो दिखाई नहीं देते
shabina. Naaz
💐अज्ञात के प्रति-118💐
💐अज्ञात के प्रति-118💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
हर एक भाषण में दलीलें लाखों होती है
हर एक भाषण में दलीलें लाखों होती है
कवि दीपक बवेजा
क्षणिक स्वार्थ में हो रहे, रिश्ते तेरह तीन।
क्षणिक स्वार्थ में हो रहे, रिश्ते तेरह तीन।
डॉ.सीमा अग्रवाल
Maturity is not when we start observing , judging or critici
Maturity is not when we start observing , judging or critici
Leena Anand
हर बार बिखर कर खुद को
हर बार बिखर कर खुद को
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
"सत्य"
Dr. Kishan tandon kranti
आओ ...
आओ ...
Dr Manju Saini
चिरकाल तक लहराता अपना तिरंगा रहे
चिरकाल तक लहराता अपना तिरंगा रहे
Suryakant Angara Kavi official
औरतें नदी की तरह होतीं हैं। दो किनारों के बीच बहतीं हुईं। कि
औरतें नदी की तरह होतीं हैं। दो किनारों के बीच बहतीं हुईं। कि
पूर्वार्थ
रूठना मनाना
रूठना मनाना
Aman Kumar Holy
हमारी तुम्हारी मुलाकात
हमारी तुम्हारी मुलाकात
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
■ आज_का_खुलासा
■ आज_का_खुलासा
*Author प्रणय प्रभात*
जिंदगी और जीवन भी स्वतंत्र,
जिंदगी और जीवन भी स्वतंत्र,
Neeraj Agarwal
अवसाद का इलाज़
अवसाद का इलाज़
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Drapetomania
Drapetomania
Vedha Singh
वो वक्त कब आएगा
वो वक्त कब आएगा
Harminder Kaur
मेरी जाति 'स्वयं ' मेरा धर्म 'मस्त '
मेरी जाति 'स्वयं ' मेरा धर्म 'मस्त '
सिद्धार्थ गोरखपुरी
जब भी मनचाहे राहों ने रुख मोड़ लिया
जब भी मनचाहे राहों ने रुख मोड़ लिया
'अशांत' शेखर
गाय
गाय
Dr. Pradeep Kumar Sharma
ग़ज़ल कहूँ तो मैं ‘असद’, मुझमे बसते ‘मीर’
ग़ज़ल कहूँ तो मैं ‘असद’, मुझमे बसते ‘मीर’
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Loading...