नारी का हर रूप महान
सृजन शीलता जिसका गुण है ।
जो है आदर्शों की खान ।।
जिसके है कई रूप जगत में ।
नारी का हर रूप महान ।।
अपने सारे कष्ट भुलाकर ।
परहित के हित जीती है ।।
अपना अमृत दान करे वो ।
सदा स्वयम विष पीती है ।।
दया क्षमा और करुणा के ।
सागर हिय में है भरे पड़े ।।
कभी बनी वह रणचंडी ।
न हारी जितने युद्ध लड़े ।।
नारी से है शोभा जग की ।
और उसी से नर की शान ।।
जिसके हैं कई रूप जगत में ।
नारी का हर रूप महान ।।