नाम, काम औ दाम
नाम, काम औ दाम
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नाम काम औ दाम का
जीवन यह बाजार है,
एक दूजे के खातिर ही
करते सब ब्यापार है।
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कोई भूखा नाम का
कहीं ख़लिश है काम की,
कही दाम अच्छे खातिर
बोली लगे ईमान की।
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नाम औ काम ब्यर्थ लगे
बिना दाम संसार में,
नाम काम बीकने लगे
आज खुले बाजार में।
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नाम काम के मध्य में
दाम का चलता राज,
दाम के आगे पीछे ही
बजते सबके साज।
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✍✍ पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण
बिहार