नानी जी नही है।
छुट्टियाँ शुरू होने जा रही हैं,
पर अफसोस नानी जी नही है।
याद आता है हमारा निक्करों मे घूमना,
आपका हर बात पे हमारा माथा चूमना।
शरारते करने पर मम्मी जी का घूरना,
आपको सामने देखकर सब डर भूलना।
मामा जी के घर की सब चीजे वही है,
पर अफसोस नानी जी नही है।।
नानी जी के रहते हर बात निराली थी,
हर दिन होली तो हर रात दिवाली थी।
हमारी गलतियाँ जिसने हँस के टाली थी,
हमे ढूँस के खिलाया खुद की थाली खाली थी।
आपके साथ खेलने का फिर ‘अरमान’ वही है,
पर अफसोस नानी जी नही है।।