Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Mar 2017 · 1 min read

नादानी

” नादानी ”
—————

याद है मुझे !
वो नादान……..
नटखट बचपन |
कितना आजाद था ?
कितना मगरूर था ?
ना कोई कर्तव्य !
ना कोई जिम्मेदारी !
वो मस्ती का सलीका !
वो जीने का तरीका !
नदी में तैरना !
पहाडो़ पर चढ़ना !
झरनों में नहाना !
पेड़ों पर चढ़ना !
अधिकतम खेलना
न्यूनतम पढ़ना ||
सदा रहता था……..
मस्तमौला !
हर्षित-पुलकित
ना कोई फिक्र…..
ना कोई चिंता !!
तभी तो याद आती है
नादानी मेरी |
—————————–
— डॉ० प्रदीप कुमार “दीप”

Language: Hindi
561 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
करवाचौथ
करवाचौथ
Dr Archana Gupta
नज़र में मेरी तुम
नज़र में मेरी तुम
Dr fauzia Naseem shad
Be with someone you can call
Be with someone you can call "home".
पूर्वार्थ
फितरते फतह
फितरते फतह
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
Armano me sajaya rakha jisse,
Armano me sajaya rakha jisse,
Sakshi Tripathi
मुझे फ़र्क नहीं दिखता, ख़ुदा और मोहब्बत में ।
मुझे फ़र्क नहीं दिखता, ख़ुदा और मोहब्बत में ।
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
"चाँदनी रातें"
Pushpraj Anant
*लम्हा  प्यारा सा पल में  गुजर जाएगा*
*लम्हा प्यारा सा पल में गुजर जाएगा*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ऐसे लहज़े में जब लिखते हो प्रीत को,
ऐसे लहज़े में जब लिखते हो प्रीत को,
Amit Pathak
कौन जात हो भाई / BACHCHA LAL ’UNMESH’
कौन जात हो भाई / BACHCHA LAL ’UNMESH’
Dr MusafiR BaithA
कौन पंखे से बाँध देता है
कौन पंखे से बाँध देता है
Aadarsh Dubey
समर कैम्प (बाल कविता )
समर कैम्प (बाल कविता )
Ravi Prakash
भूख 🙏
भूख 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
गांधी जी के आत्मीय (व्यंग्य लघुकथा)
गांधी जी के आत्मीय (व्यंग्य लघुकथा)
दुष्यन्त 'बाबा'
यदि आप अपनी असफलता से संतुष्ट हैं
यदि आप अपनी असफलता से संतुष्ट हैं
Paras Nath Jha
कहाॅं तुम पौन हो।
कहाॅं तुम पौन हो।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
तुम्हारी निगाहें
तुम्हारी निगाहें
Er. Sanjay Shrivastava
नाम परिवर्तन
नाम परिवर्तन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
ज़ईफ़ी में ग़रचे दिमाग़ी तवाज़ुन, सलामत रहे तो समझ लीजिएगा।
ज़ईफ़ी में ग़रचे दिमाग़ी तवाज़ुन, सलामत रहे तो समझ लीजिएगा।
*Author प्रणय प्रभात*
सोचो यदि रंगों में ऐसी रंगत नहीं होती
सोचो यदि रंगों में ऐसी रंगत नहीं होती
Khem Kiran Saini
रात का आलम था और ख़ामोशियों की गूंज थी
रात का आलम था और ख़ामोशियों की गूंज थी
N.ksahu0007@writer
टाईम पास .....लघुकथा
टाईम पास .....लघुकथा
sushil sarna
हरदा अग्नि कांड
हरदा अग्नि कांड
GOVIND UIKEY
"कहाँ नहीं है राख?"
Dr. Kishan tandon kranti
उलझा रिश्ता
उलझा रिश्ता
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
*अपना अंतस*
*अपना अंतस*
Rambali Mishra
हुऐ बर्बाद हम तो आज कल आबाद तो होंगे
हुऐ बर्बाद हम तो आज कल आबाद तो होंगे
Anand Sharma
शतरंज की बिसात सी बनी है ज़िन्दगी,
शतरंज की बिसात सी बनी है ज़िन्दगी,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
एक गुजारिश तुझसे है
एक गुजारिश तुझसे है
Buddha Prakash
Loading...