Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Aug 2017 · 1 min read

नाउम्मीदि

क्या पाया कुछ भी तो नही
क्या खोया कुछ भी तो नही,
जिन्दगी गुजर रही है बस यूंही
उम्मीद या मंजिल कुछ भी नही ।
लााखो कोशिशे की जिंदगी संवारने की
मगर नाकामयाब रहा हर बाजी हारी ,
किस तरह बताऊं कहानी जिंदगी की
हमे घेर रखा है दिवारे नाउम्मीदि की ।

Language: Hindi
358 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
यूँ तो हम अपने दुश्मनों का भी सम्मान करते हैं
यूँ तो हम अपने दुश्मनों का भी सम्मान करते हैं
ruby kumari
"गिल्ली-डण्डा"
Dr. Kishan tandon kranti
किसी औरत से
किसी औरत से
Shekhar Chandra Mitra
तजो आलस तजो निद्रा, रखो मन भावमय चेतन।
तजो आलस तजो निद्रा, रखो मन भावमय चेतन।
डॉ.सीमा अग्रवाल
* ज्योति जगानी है *
* ज्योति जगानी है *
surenderpal vaidya
हुआ जो मिलन, बाद मुद्दत्तों के, हम बिखर गए,
हुआ जो मिलन, बाद मुद्दत्तों के, हम बिखर गए,
डी. के. निवातिया
कलियुग
कलियुग
Bodhisatva kastooriya
***
*** " ये दरारों पर मेरी नाव.....! " ***
VEDANTA PATEL
सामाजिक कविता: बर्फ पिघलती है तो पिघल जाने दो,
सामाजिक कविता: बर्फ पिघलती है तो पिघल जाने दो,
Rajesh Kumar Arjun
जन्माष्टमी
जन्माष्टमी
लक्ष्मी सिंह
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
अब तो आ जाओ सनम
अब तो आ जाओ सनम
Ram Krishan Rastogi
थैला
थैला
Satish Srijan
అదే శ్రీ రామ ధ్యానము...
అదే శ్రీ రామ ధ్యానము...
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
बालगीत :- चाँद के चर्चे
बालगीत :- चाँद के चर्चे
Kanchan Khanna
किसी ने कहा- आरे वहां क्या बात है! लड़की हो तो ऐसी, दिल जीत
किसी ने कहा- आरे वहां क्या बात है! लड़की हो तो ऐसी, दिल जीत
जय लगन कुमार हैप्पी
" छोटा सिक्का"
Dr Meenu Poonia
ग़ज़ल- तू फितरत ए शैतां से कुछ जुदा तो नहीं है- डॉ तबस्सुम जहां
ग़ज़ल- तू फितरत ए शैतां से कुछ जुदा तो नहीं है- डॉ तबस्सुम जहां
Dr Tabassum Jahan
मोहब्ब्बत के रंग तुम पर बरसा देंगे आज,
मोहब्ब्बत के रंग तुम पर बरसा देंगे आज,
Shubham Pandey (S P)
23/44.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/44.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
■ सुन भी लो...!!
■ सुन भी लो...!!
*Author प्रणय प्रभात*
माँ तेरे चरणों मे
माँ तेरे चरणों मे
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*शबरी (कुंडलिया)*
*शबरी (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
सियासत कमतर नहीं शतरंज के खेल से ,
सियासत कमतर नहीं शतरंज के खेल से ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
एक बार नहीं, हर बार मैं
एक बार नहीं, हर बार मैं
gurudeenverma198
ख़ाइफ़ है क्यों फ़स्ले बहारांँ, मैं भी सोचूँ तू भी सोच
ख़ाइफ़ है क्यों फ़स्ले बहारांँ, मैं भी सोचूँ तू भी सोच
Sarfaraz Ahmed Aasee
फ़ितरत
फ़ितरत
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
लगाकर मुखौटा चेहरा खुद का छुपाए बैठे हैं
लगाकर मुखौटा चेहरा खुद का छुपाए बैठे हैं
Gouri tiwari
दोहा-प्रहार
दोहा-प्रहार
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
सरयू
सरयू
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
Loading...