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18 Aug 2018 · 1 min read

नहीं करते

आज एक गीतिका ……!
०००००
नहीं करते
०००००
जिनके दिल में स्वार्थ भरा है ,वे उपकार नहीं करते ।
नहीं पता हो लक्ष्य जिन्हें वे, मंजिल पार नहीं करते ।।

वीर वही कहलाते हैं जो, आ सीने पर वार करें ।
नपा तुला बोलें बातों की ,वे बौछार नहीं करते ।।

जो करते हैं प्यार देश से, हँसकर देते कुर्बानी ।
होने को बलिदान कभी भी , सोच-विचार नहीं करते ।।

हाथों में तो कलम थामना ,कोई मुश्किल बात नहीं ।
लिखना सत्य कठिन ,लिखते जो, वे व्यापार नहीं करते ।।

कट जाता है सारा जीवन, रोटी को ढोते जिनका ।
कभी दूसरे की दौलत पर , वे अधिकार नहीं करते ।।

हमने क्या-क्या कर्म किये हैं, कभी कसौटी पर कसना ।
दर्पण की सच्चाई से हम ,तो इंकार नहीं करते ।।

जीवन भी तो एक जुआ है , जो भी खेला हारा है ।
पर हम डरते मृत्यु सुंदरी ,से अभिसार नहीं करते ।।
०००००
-महेश जैन ‘ज्योति’
मथुरा !
***

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