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16 Jun 2021 · 1 min read

नहीं अच्छा लगा

गज़ल- नहीं अच्छा लगा

हम सभी से दूर होना, ये नहीं अच्छा लगा।
यूं बिलखते छोड़़ जाना,ये नहीं अच्छा लगा।

ऐसी क्या मजबूरियां थी, कह तो देते एक बार।
सबको नालायक बनाना, ये नहीं अच्छा लगा।

तुमनें क्यों समझा नहीं, बूढ़े पिता के दर्द को।
इतना बेपरवाह होना, ये नहीं अच्छा लगा।

जिंदगी एक जंग है, ये फलसफ़ा सबने सुना।
बिन लड़े ही हार जाना, ये नहीं अच्छा लगा।

प्रेम के सागर थे तुम, और तुम मे ढूबे बेशुमार।
काम प्रेमी कायराना, ये नहीं अच्छा लगा।

………✍️ प्रेमी
(सुशांत राजपूत की मौत पर वर्ष 2020 में)

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