नशाखोरी, भ्रष्टाचार
मर गई सायद इंसानियत चंद पैसो के आगे,
अबतो बईमान ही बलवान हैँ //
यहाँ हर गली-चौराहो मे रहता एक शैतान हैँ//
कुर्बान हो गई कई जिंदगी इन लालच के आगे,
जो इंसानियत को करती शर्मसार और बदनाम हैँ //
नशाखोरी, भ्रष्टाचार जैसा भी एक हैवान हैँ //
इसमें जकड़े मेरे भारत को देखकर,
मै कैसे कहदू… कि… मेरा भारत महान हैँ….//