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30 Sep 2019 · 1 min read

नव प्रभात नव.विकास

लो हो गई नव प्रभात
कट गई है काली रात
मिट गया फैला अंधेरा
अब होगा ज्ञान प्रकाश
जागेगी नव जन चेतना
होंगे अब अथक प्रयास
होगा अपकार का अंत
मिटेगी सभी बुराइयां
होगा समाज कल्याण
होगी खुशियों की बौछार
खिलेंगे पुष्प के समान
बुझे उतरे हुए चेहरे
होगा देश पूर्ण विकास
लहराएगा अब परचम
विश्व स्तर,विश्व पटल पर
पैदा होंगे अब हर क्षैत्र में
रोजगार के अवसर
मिटेगा गरीबी का कलंक
होगी संसाधनों की सम बाँट
खत्म होगी जाति पाति रीति
बहाल होगी जनकल्याण नीति
धर्मों का समान मान सम्मान
अब खूब प्रफुल्लित होगी
भाईचारे और ने की भावना
अब मुखमंडल पर होगी
मंद मद्धिम मधुर मुस्कान
क्या सचमुच ऐसा हो पाएगा
बदलेगा परंपरागत ढाँचा
यथार्थ में होगा यह चमत्कार
यदि कभी सच में ऐसा हुआ
उस पहर होगी सचमुच
नव प्रभात नव विकास

सुखविंद्र सिंह मनसीरत

Language: Hindi
363 Views
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