Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Jan 2019 · 2 min read

नवागंतुक एवं परंपराऐ

लेख:-
—————————————–
“नवागंतुक एवं परंपरायें”
—————————
कुछ बातें जीवन में तब समझ में आती हैं जब वे स्वयं आप अनुभव करते हैं।परिवार की मान्यतायें,परंपरायें,जिनके सहारे हम लोग पले बड़े होते हैं,वो हमारे जीवन के वो पोषक तत्व होते हैं जिन्हें हम चाहते हैं कि वो हमारी पहचान का हिस्सा बने रहें;इनकी वजह से ही हमारा चरित्र और पहचान दुनिया के सामने परिलिक्षित होती है।शायद यही कारण है कि पुराने समय में हमारे माता पिता का अपनी संतानों का रिश्ता करते समय ख़ानदान पारिवारिक पृष्ठभूमि को पहले परखते थे जोकि मेरे विचार में किसी भी डी एन ए से अधिक प्रभावशाली सिद्ध होती थी।आज आधुनिकता का आवरण हमारे मन मस्तिष्क पर इस क़दर चढ़ा दिया गया है कि हम अपने सारे संदर्भ खोते चले जा रहे हैं।यदि हम उसमें कुछ अच्छा जोड़ें तो अच्छा ही आगे जायेगा नहीं तो आधुनिकता के नाम पर फूहड़ता ओढ़ने को अपनी नयी पहचान नहीं बना सकते।परिणामस्वरूप हमारे समाज की विशिष्टता भी समाप्त हो कर रह गयी है।अब आधुनिकता ओढ़ कर हम खिचड़ी समाज होते जा रहे हैं।इस बात को हम सही सिद्ध करने में लगे हैं कि’कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा भानुमति ने कुनबा जोड़ा’।
ये सब वो बातें हैं जिनको आप अचानक महसूस करते हैं जब उम्र के उस पड़ाव पर पहुँच चुके होते हैं जब आप चाहते हैं कि आपकी ज़िम्मेवारी आप से कोई ले ले और ठीक उसी प्रकार से निभाये जिस प्रकार आप उसे करना चाहते हैं।एक दिन अचानक आप देखते हैं कि आपके अपने नाती,पोते कुछ कुछ वो सब कर रहे हैं जो आप करना चाहते हैं या फिर वो संस्कार जो आप चाहते हैं कि आपके लिये कोई ध्वजवाहक बन और आगे लेकर चले तोआपके मन में संतुष्टि का अनुभव होता है।कभी कभी जब मेरी नातिन की एक भी बात हमसे मेल खाती नज़र आती है तो लगता है जीवन सफल हो गया।जीवन ने संपूर्णता पा ली है।अब हम शांति से विश्राम अवस्था में जा सकते हैं।इसलिये आपके परिवार में किसी नवांगुतक पर ख़ुशियाँ मनाई जाती हैं।
—————————-
राजेश’ललित’शर्मा
—————————–

Language: Hindi
Tag: लेख
5 Likes · 1 Comment · 234 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जब तुम उसको नहीं पसन्द तो
जब तुम उसको नहीं पसन्द तो
gurudeenverma198
कभी उगता हुआ तारा रोशनी बांट लेता है
कभी उगता हुआ तारा रोशनी बांट लेता है
कवि दीपक बवेजा
कलाकार
कलाकार
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
23/54.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/54.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तुम्हारा इक ख्याल ही काफ़ी है
तुम्हारा इक ख्याल ही काफ़ी है
Aarti sirsat
तेरी चेहरा जब याद आती है तो मन ही मन मैं मुस्कुराने लगता।🥀🌹
तेरी चेहरा जब याद आती है तो मन ही मन मैं मुस्कुराने लगता।🥀🌹
जय लगन कुमार हैप्पी
आलोचक-गुर्गा नेक्सस वंदना / मुसाफ़िर बैठा
आलोचक-गुर्गा नेक्सस वंदना / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
क्योंकि मै प्रेम करता हु - क्योंकि तुम प्रेम करती हो
क्योंकि मै प्रेम करता हु - क्योंकि तुम प्रेम करती हो
Basant Bhagawan Roy
कभी रहे पूजा योग्य जो,
कभी रहे पूजा योग्य जो,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
डर
डर
अखिलेश 'अखिल'
मतदान और मतदाता
मतदान और मतदाता
विजय कुमार अग्रवाल
सावन‌ आया
सावन‌ आया
Neeraj Agarwal
अभी तक हमने
अभी तक हमने
*Author प्रणय प्रभात*
*बेवफ़ा से इश्क़*
*बेवफ़ा से इश्क़*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
जिनसे ये जीवन मिला, कहे उन्हीं को भार।
जिनसे ये जीवन मिला, कहे उन्हीं को भार।
डॉ.सीमा अग्रवाल
अक्सर आकर दस्तक देती
अक्सर आकर दस्तक देती
Satish Srijan
'बेटी की विदाई'
'बेटी की विदाई'
पंकज कुमार कर्ण
कहू किया आइ रूसल छी ,  कोनो कि बात भ गेल की ?
कहू किया आइ रूसल छी , कोनो कि बात भ गेल की ?
DrLakshman Jha Parimal
प्राणदायिनी वृक्ष
प्राणदायिनी वृक्ष
AMRESH KUMAR VERMA
महाकाल भोले भंडारी|
महाकाल भोले भंडारी|
Vedha Singh
हम वो फूल नहीं जो खिले और मुरझा जाएं।
हम वो फूल नहीं जो खिले और मुरझा जाएं।
Phool gufran
నమో సూర్య దేవా
నమో సూర్య దేవా
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
*हम विफल लोग है*
*हम विफल लोग है*
पूर्वार्थ
Image at Hajipur
Image at Hajipur
Hajipur
एक कप कड़क चाय.....
एक कप कड़क चाय.....
Santosh Soni
"नेशनल कैरेक्टर"
Dr. Kishan tandon kranti
यह जो मेरी हालत है एक दिन सुधर जाएंगे
यह जो मेरी हालत है एक दिन सुधर जाएंगे
Ranjeet kumar patre
जनता मुफ्त बदनाम
जनता मुफ्त बदनाम
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
जीने के प्रभु जी हमें, दो पूरे शत वर्ष (कुंडलिया)
जीने के प्रभु जी हमें, दो पूरे शत वर्ष (कुंडलिया)
Ravi Prakash
Loading...