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22 Jun 2019 · 1 min read

नवगीत

पहले से आराम बहुत है

*********************

जो भेजे हो दवा पेट की

केवल दो दिन ही खाया मैं

पहले से आराम बहुत है

*

खेत कट गये सब गेहूँ के

बोझों से खलिहान गँजा है

दो हजार का नोट दिए जो

मुश्किल से वह आज भँजा है

आवारा पशु फसल चर गये

एक देह को काम बहुत है

*

खेत पटाने गई ‘पवितरी’

‘रामबुझावन’ गाय चराने

छुटकी चली गई ‘पडरौना’

‘राज’ गया ‘घरजनवा’ खाने

पेड़ फलों से लदे पड़े हैं

आया लँगड़ा आम बहुत है

*

बचा बकाया ‘पटवारी’ का

चुका दिया हूँ पाई-पाई

सुन, इस फागुन में होनी है

‘बसमतिया’ की रुकी सगाई

एक बार आकर मिल जाता

आता लेकिन घाम बहुत है

*

सिर में दर्द बहुत रहता है

सदा कहँरती बुढ़िया आजी

खाना-पीना बंद हो गया

खाती थोड़ी ताजा भाजी

शहर दिखा दूँ, किसी वैद्य से

डर जाता हूँ, जाम बहुत है

*

शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’

मेरठ

Language: Hindi
457 Views
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