नराधम का मिटना बेहतर है ,,,(कविता)
जिस बुरी नज़र से कोई किसी नारी /मासूम बच्चियों को देखे ,
उस बुरी नज़र को तो बुझा देना बेहतर है.
जिस अपनी गन्दी ज़बान से इन्हें दे कोई अपशब्द भी,
उस जुबां को काट देना ही बेहतर है.
जो गुस्ताख हाथ उठे किसी अबला /कमज़ोर /अबोथ के दामन की ओर ,
उन हाथों को काट देना ही बेहतर है.
देखो एक कदम भी वोह बढाने ना पाए ,और छू ना सके उसकी परछाई भी,
उन पैरों को भी तोड़ देना ही बेहतर है.
हम मनुष्यों के सभी समाज में ,क्या काम शैतान का!!
समाज और देश के दुश्मन हैं यह ,इनका तो समूल नाश होना ही बेहतर है.
सूना है एकता में बल होता है ,तो क्यों नहीं रहते इकठ्ठे रहकर ?
हिन्दू या मुसलमान ,दुःख तो सबका सांझा होता है.
कोई बच्चा चाहे जिस भी मजहब का हो ,
माता-पिता के जिगर का टुकडा होता है .
तो अरे मेरे देशवासियों ! अपनी संतान की हिफाज़त करो.
आपकी एकता के बल द्वारा इन समाज के दुश्मनों का सदा के लिए
मिट जाना ही बेहतर है.