नया नवेला,अपना आंचल,नाम मिला हमें उत्तरांचल
नया नवेला,अपना आंचल,नाम मिला हमे उत्तरांचल,नकद रोकडा ना सही,ठन ठन
पर प्रकृति का है,सुन्दर उपवन, चार धामों का तीर्थाटन है,अर्धकुम्भी,हरिद्वार है,उधम सिहं,पर उधोग का भार है,पर्यटन को नैनीताल,मसुरी।
अल्मोडा में मां,नन्दा कि ड्योडी,
टिहरी में बान्ध का घेरा,उत्तरकाशी मे,विश्वनाथ का डेरा।रुद्र प्रयाग,या चमोली,पिथौरागढ,हो या औली,बागेश्वर,चम्पावत,व देहरादून,और पौडी,
तेरह,जनपदों कि नही, सीमा, थोडी।
नया नवेले अपने आंचल में,माफियाओं का कोइ काम नही,देवों कि इस पावन स्थली में,हो लुट खसोट का नाम नही, खुद जियो,औरौं को जीने दो, है अपना पैगाम,यही, जात पात का ना कोइ,चक्कर,ना पर्वत मैदान कहीं, मिल बैठकर
बाटें,सुख दुख,बैर भाव का दावं नही। बना रहे यह सबका जज्बा,टुटे ना शहिदों का सपना,
धर्म ग्रन्थों का है ये केदार खण्ड,है अपना प्यारा उत्तराखण्ड।