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26 Jul 2021 · 1 min read

नयन मीन सम जल भरे….

सहती दारुण दुख अकथ, रहती अविचल मौन ।
नारी-व्यथा अथाह अति, बाँचे उसको कौन ।।

नयन मीन सम जल भरे, अधर थिरकता हास ।
देवी त्याग – ममत्व की, जिये विरोधाभास ।।

-© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
“तारुष” से

Language: Hindi
2 Likes · 388 Views
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