नजराना
अजीब पहेली बन चली जिंदगी
इसको मै क्या जवाब दूँ।
दुनियादारी मे अभी मै कच्चा हूँ
तुम्हें मै क्या हिसाब दूँ।
नजराना देना चाहा महबूब को
पर वो भी नही दे पाया।
जो खुद मे ही एक गुलशन हो
उसे मै क्या गुलाब दूँ।
#अरमान
अजीब पहेली बन चली जिंदगी
इसको मै क्या जवाब दूँ।
दुनियादारी मे अभी मै कच्चा हूँ
तुम्हें मै क्या हिसाब दूँ।
नजराना देना चाहा महबूब को
पर वो भी नही दे पाया।
जो खुद मे ही एक गुलशन हो
उसे मै क्या गुलाब दूँ।
#अरमान