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1 Jan 2021 · 1 min read

नए वर्ष की नयी ग़ज़ल- जां से प्यारे यार बदलते देखें हैं

वर्ष और घर-द्वार बदलते देखें हैं
जां से प्यारे यार बदलते देखें हैं।

देखा है दिल पे कुछ होठों पे कुछ
पल-पल किरदार बदलते देखें हैं।

नफ़रत देखी,देखा हमने प्यार
चेहरे सौ-सौ बार बदलते देखें हैं।

हर बार उसे अपना समझा जाना
लेकिन बारम्बार बदलते देखें हैं।

मुझे तोड़कर वो खुद कितना रोया
उल्फ़त के बीमार बदलते देखें हैं।

✍️आकिब जावेद

2 Likes · 1 Comment · 429 Views
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