Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Aug 2020 · 1 min read

” धोखा “…एक अलग तरह का खाना

कोरोना काल हो या कोई और जंजाल हो कुछ बातें हमेशा अपने स्थान पर अडिग रहती हैं इनका हालत से कोई लेना – देना नही होता ये यथावत ऐसे ही चलती हैं इनमें से एक ये भी है….??

” धोखा ” बड़ा अजीब सा
अलग सा है खाना
खाना होकर भी
ये नही है खाना ,
दुनियाभर के पकवान
खाये होंगें सबने
” धोखा ” भी खाया होगा
किसी ना किसी से सभी ने ,
तरह – तरह के पकवान में
ये भी एक पकवान है
जिसने नही खाया
वो बड़ा भाग्यवान है ,
इस खाने का आर्डर
आप खुद नही दे सकते
इसे दूसरा खिलाता है
आप खुद नही खा सकते ,
ये ऐसा खाना है
इसके बाद जीवन में
कभी कुछ और नही
आपके अंदर जाना है ,
दरअसल इसको
करीबी ही खिलाते हैं
खिलाने के बाद
पानी पिलाने का ढ़ोंग रचाते हैं ,
एक बार खाने के बाद
दुबारा खाने से बचिये
और दूसरों को भी
इसे ना खाने की सलाह दिजिये ,
क्योंकि ये पेट में नही
हृदय में फँस जाता है
फिर पानी तो क्या
कोई डाक्टर भी काम नही आता है ।

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 15/08/2020 )

Language: Hindi
4 Likes · 2 Comments · 271 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mamta Singh Devaa
View all
You may also like:
कांग्रेस की आत्महत्या
कांग्रेस की आत्महत्या
Sanjay ' शून्य'
क्या हो, अगर कोई साथी न हो?
क्या हो, अगर कोई साथी न हो?
Vansh Agarwal
*दादी चली गई*
*दादी चली गई*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
मां का घर
मां का घर
नूरफातिमा खातून नूरी
-दीवाली मनाएंगे
-दीवाली मनाएंगे
Seema gupta,Alwar
सरकार बिक गई
सरकार बिक गई
साहित्य गौरव
ग़ज़ल/नज़्म - ये प्यार-व्यार का तो बस एक बहाना है
ग़ज़ल/नज़्म - ये प्यार-व्यार का तो बस एक बहाना है
अनिल कुमार
रिमझिम बरसो
रिमझिम बरसो
surenderpal vaidya
स्पीड
स्पीड
Paras Nath Jha
मार न डाले जुदाई
मार न डाले जुदाई
Shekhar Chandra Mitra
धूमिल होती यादों का, आज भी इक ठिकाना है।
धूमिल होती यादों का, आज भी इक ठिकाना है।
Manisha Manjari
5 हाइकु
5 हाइकु
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
*धूप में रक्त मेरा*
*धूप में रक्त मेरा*
Suryakant Dwivedi
कविता
कविता
Rambali Mishra
बस फेर है नज़र का हर कली की एक अपनी ही बेकली है
बस फेर है नज़र का हर कली की एक अपनी ही बेकली है
Atul "Krishn"
सवाल ये नहीं
सवाल ये नहीं
Dr fauzia Naseem shad
Jaruri to nhi , jo riste dil me ho ,
Jaruri to nhi , jo riste dil me ho ,
Sakshi Tripathi
सारे  ज़माने  बीत  गये
सारे ज़माने बीत गये
shabina. Naaz
"पत्र"
Dr. Kishan tandon kranti
महबूब से कहीं ज़्यादा शराब ने साथ दिया,
महबूब से कहीं ज़्यादा शराब ने साथ दिया,
Shreedhar
उम्मीद.............एक आशा
उम्मीद.............एक आशा
Neeraj Agarwal
कैसे?
कैसे?
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
MEENU
तू दूरबीन से न कभी ढूँढ ख़ामियाँ
तू दूरबीन से न कभी ढूँढ ख़ामियाँ
Johnny Ahmed 'क़ैस'
शिक्षक (कुंडलिया )
शिक्षक (कुंडलिया )
Ravi Prakash
23/120.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/120.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"मैं तेरी शरण में आई हूँ"
Shashi kala vyas
कसीदे नित नए गढ़ते सियासी लोग देखो तो ।
कसीदे नित नए गढ़ते सियासी लोग देखो तो ।
Arvind trivedi
खुशनसीबी
खुशनसीबी
DR ARUN KUMAR SHASTRI
💐प्रेम कौतुक-180💐
💐प्रेम कौतुक-180💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Loading...